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२४१. चांचवेई जठे चुग्गो भी त्यार है। २४२. चाए जितना पालो पांख ऊगता ही ऊड जासी । २४३. चाकरी से सूं आकरी । २४४ चाकी में पड कर साप तो कोनी नीसरै। २४५. चालणी में दूदवै करमा नै दोष देवै । २४६. चिडपिडै सुहाग सू रंडापोही चोखो। २४७. चिडी की चोंच में सोमण को लकडो। २४८. चीकणे घडै पर बूंद न लागै जे लागै तो चीढो। २४९. चुस्सी को सिकार और ग्यारा तोप । २५०. चूसै के बिल में ऊंट कैया समाव । २५१. चोर की मां घडै में मुंह देकर रोवे । २५२. चोर के छाती है पण पग कोनी। २५३. चोर ने कहै लाग साह ने कहै जाग । २५४. चोर ने के मारे चोर की मां ने मारै। २५५. चोरी को धन मोरी में जाय । २५६. चौमासी को गोबर लीपण को न थापण को । २५७. चार चोर चोरासी बाणिया के करै बापडा एकला बाणियां । २५८. च्यार दिना की चानणी फेर अंधेरी रात ।
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२५९. छीकत खाये छीकत पीये छीकत रहिये सोय छीकत पर घर कदे न जाए
आछी कदे न होय । २६०. छोरो बगल में ढूंढे जंगल में। .
२६१. जठ प. मूसल उठ ही खेम कुसल । २६२. जबान में ही रस अर जबान में ही विष । २६३. जमीं जोरू जोर की जोर हट्यां ओर की। २६४. जमीन को सोवणियो र झूठ को बोलणियो संकडेलो क्यूं भुगते । २६५. जलम को आंधो नाम नैण सुख । २६६. जलम को दुख्यारो नाम सदासुख । २६७. जहर खाय गो सो मरे गो। २६८. जहर ने जहर मारे। २६९. जांका मरग्या बादशाह रुलता फिरै वजीर । २७०. जाट जंगल मत छेडिये हाटा बीच किराड ।
रघंड कदे न छेडिये जद तद करै बिगाड । २७१. जाट जवांई भाणजो रंबारी सूनार, कदैन न होसी आपणा कर देखो व्योहार । २७२. जाट डूब धोली धार बाणियो डूबै काली धार । २७३. जाटणी की छोरी र फलकै बिना दोरी। २७४. जाट रे जाट तेरे सिर पर खाट मीयां रे मीयां तेरे सिर पर कोल्हु कह तुक खंड २२, अंक २
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