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क्रिया कोष में केवल ओलों को ही अभक्ष्य कहा है । वस्तुतः ठोस जल के रूप होने से दोनों को एक ही जाति का मानना चाहिये । ओला प्राकृतिक है, पारदर्शी ठोस और कठोर होता है तथा कोमल बर्फ से ऊपरी आकाश में शून्य ताप पर बनकर नीचे ठोस पिंड के रूप में गिरता है । इसके विपर्यास में, सामान्य बर्फ प्राकृतिक होते हुए भी कोमल एवं रुई जैसा होता है । यह ठंडी जलवायु के स्थानों में उच्च आकाश में जलवाष्पों के क्रिस्टलन से छोटे-छोटे रुई जैसे क्रिस्टलों के रूप में परिणत होकर धरती पर गिरता है और उसे सफेद चादर से आवृत्त करता है। शिमला और कश्मीर की घाटियों में दिसम्बरजनवरी में इस हिमपात की शोभा देखते ही बनती है । यही बर्फ जब तूफानों के कारण ऊपरी आसमान की ओर उड़ता है तो ओलों का रूप धारण करता है । रेफ्रिजरेटरों में जल सीधे ही कठोर बर्फ में परिणत हो जाता है ।
शास्त्रों के अनुसार, चूंकि यह अनछने पानी से बनता है, आकाश में बनता है, अतः इसमें अनंत जीवराशि रहती है । फलतः इसके भक्षण में जीवधात का दोष है । धार्मिक मान्यता से जल स्वयं सजीव है, सचित्त है । अतः उसके ठोस रूप को जीवपिंड ही मानना चाहिए । इससे इसकी अभक्ष्यता स्वयंसिद्ध है । पहले ये दोनों ही पदार्थ आहार में प्रयुक्त नहीं होते थे, पर जबसे प्रशीतन की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई, तबसे यह न केवल खाद्यों के प्रशीतन में ही काम आता है, अपितु यह स्वयं ही एक खाद्य घटक बन गया है । विदेशों में महिलाओं के प्रसवोत्तर काल में एवं अन्य रोगों में इसे खाद्य के रूप में काम में लाते हैं, बाह्य उपयोग तो अनेक हैं ही। उदाहरणार्थ - बुखार को कम करने के लिये बर्फ की पट्टियां काम आती हैं ।
. वैज्ञानिक अन्वेषणों से पता चलता है कि हिम या ओला तरल जल के शून्य ताप पर क्रिस्टलन से प्राप्त होता है । इस ताप पर परिवेश के जीवाणु विकारहीन और अक्रिय हो जाते हैं । दूसरे, यह पाया गया है कि क्रिस्टलन की क्रिया पदार्थ की शुद्धता पर निर्भर करती है और बर्फ और ओले जल के शुद्धतम रूप माने जाते हैं । क्रिस्टलन के कारण यह बिना छने भी छने से अच्छा माना जाता है। इसमें जीवाणु नहीं होते । इसका उपयोग अन्तर्बाह्य विकृति को रोकता है । इसलिये क्रियाकोषीय या जीवपिंडता के आधार पर बर्फ और ओलों को अभक्ष्य मानना तर्कसंगत नहीं लगता । रसायनज्ञों ने तो हाइड्रोजन मोनोक्साइड के रूप में इसे सरल यौगिकों के रूप में प्रयोगशालाओं में भी संश्लिष्ट कर लिया है । अतः इनकी अभक्ष्यता के लिये अन्य तर्कसंगत आधारों की आवश्यकता है | नये युग में बर्फ के तापमान पर अनेक बर्फयुक्त खाद्य काम में आने लगे हैं-- आइसक्रीम, कुलफी, शीतल सोडा, जल एवं अन्य पेय । धार्मिक दृष्टि से इन नये खाद्यों की भक्ष्याभक्ष्यता पर स्पष्ट विचार अपेक्षित हैं ।
१८. अज्ञात फल
अज्ञात फलों की अभक्ष्यता की धारणा यह प्रकट करती है कि हम जो कुछ भी आहार ग्रहण करें, उसके गुण-अवगुण के विषयों में हमें पूर्व में यथासंभव पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिये । सामान्य जन को समुचित जानकारी उपलब्ध न होने की स्थिति में ऐसी वस्तुओं को आहार में लेना ही नहीं चाहिए । फिर क्षेत्र विशेष में पाये
तुलसी प्रज्ञा
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