Book Title: Tristutik Mat Samiksha Prashnottari
Author(s): Sanyamkirtivijay
Publisher: Nareshbhai Navsariwale

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Page 4
________________ त्रिस्तुतिक मत समीक्षा प्रश्नोत्तरी प्रकाशनना अवसरे... ज्ञानक्रियाभ्यां मोक्षः। सम्यग्ज्ञान अने सम्यक्क्रियाथी मोक्ष प्राप्ति थाय छे. ऐकलुं ज्ञान के एकली क्रिया मोक्ष आपी शकता नथी. ज्ञान क्रियाने झंखे छे. क्रिया ज्ञानसामीप्य ईच्छे छे. ज्ञान मार्ग बतावे छे. क्रिया मार्ग उपर चलावे छे अने ईष्ट स्थाने पहोंचाडे छे. आम ज्ञान अने क्रिया बंने साथे मळीने ईष्ट ऐवा 'मोक्ष' रुप फळने आपे छे. अनादिकाळथी आपणा आत्मामां अज्ञाननो अंधकार छवायेलो रह्यो छे. ते कारणथी ज आपणुंअविरतपणे संसार परिभ्रमण चाले छे. आत्मा उपर छवायेला अज्ञानना अंधकारनो नाश करी सम्यक्प्रकाश पाथरवानुं कार्य सम्यग् ज्ञान करे छे. ___ ज्ञान प्राप्तव्य (प्राप्त करवा योग्य) अने अप्राप्तव्य (प्राप्त नहि करवा योग्य), कर्त्तव्य अने अकर्त्तव्य तथा हेयोपादेयनो विवेक आपे छे. विधि-निषेधने जणावे छे. मोक्षमार्गना साधक अने बाधक तत्त्वोने जणावे छे. आत्मा माटेना सुरक्षित स्थानोने बतावे छे अने साथे भयस्थानोने पण बतावे छे. आथी मोक्षमार्गमां ज्ञाननी अत्यंत आवश्यकता छे. श्रीठाणांग सूत्रनी टीकामां ज्ञानप्राप्ति अने ज्ञानवृद्धिना सात उपायो बताव्या छे. १. सूत्र, २. नियुक्ति, ३. भाष्य, ४. चूर्णि, ५. वृत्ति (टीका), ६. परंपरा अने७.अनुभव. सूत्र, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि अने वृत्ति आ पांचने पंचांगी कहेवाय छे. पंचांगी ज्ञानप्राप्ति अने ज्ञानवृद्धिनुं परम कारण छे. जेम पंचांगी ज्ञानप्राप्ति अने ज्ञानवृद्धिनुं कारण छे तेम सुविहित महापुरुषोनी अविच्छिन्न परंपरा पण ज्ञानप्राप्ति अने ज्ञानवृद्धिन कारण छे. ते ज रीते 'अनुभव' पण ज्ञानप्राप्ति अने ज्ञानवृद्धिनुं कारण छे. श्रीठाणांगसूत्रनी जेम जरा जुदी रीते उत्तम तत्त्वने पामवाना त्रण उपायो

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