Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charit Part 06 Author(s): Surekhashreeji Sadhvi Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य रचित त्रिषष्टिशलाकापुरुष-चरित का 'अष्टम पर्व' (हिन्दी भाग-६); जिसमें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान, वासुदेव कृष्ण, बलदेव बलभद्र और प्रतिवासुदेव जरासंध आदि के चरित्र को वर्णित किया है, प्राकृत भारती अकादमी की पुष्प संख्या २४६ के रूप में प्रस्तुत करते हुए हमें हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। त्रिषष्टि अर्थात् तिरेसठ शलाका पुरुष अर्थात् सर्वोत्कृष्ट महापुरुष। सृष्टि में उत्पन्न हुए या होने वाले जो सर्वश्रेष्ठ महापुरुष होते हैं वे शलाका-पुरुष कहलाते हैं। इस कालचक्र के उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी के आरकों में प्रत्येक काल में सर्वोच्च ६३ पुरुषों की गणना की गई है, की जाती थी और की जाती रहेगी। इसी नियमानुसार इस अवसर्पिणी में ६३ महापुरुष हुए हैं, उनमें २४ तीर्थंकर, १२ चक्रवर्ती, ६ वासुदेव, ९ प्रतिवासुदेव और ९ बलदेवों की गणना की जाती है। इन्हीं ६३ महापुरुषों के जीवन-चरितों का संकलन इस 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित' के अन्तर्गत किया गया है। आचार्य हेमचन्द्र ने इसे संस्कृत भाषा में १० पर्यों में विभक्त किया है जिनमें ऋषभदेव से लेकर महावीर पर्यन्त ६३ महापुरुषों के जीवनचरित संगृहीत हैं। प्रस्तुत पुस्तक में तीर्थंकर नेमिनाथ व अन्य महापुरुषों कृष्ण, कंस, नल दमयंती की कथाओं का अत्यन्त सुन्दर चित्रांकन किया है यह कथाएँ इतिहास की जानकारी के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित करती है।Page Navigation
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