Book Title: Tattvanyaya Vibhakar
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Chandulal Jamnadas

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Page 56
________________ anwar mmmmmmmmarr करणनिरूपणम् ( ५१ ) अन्यकर्मरूपतया व्यवस्थितानां प्रकृतिस्थित्यनुभागप्रदेशानामन्यकर्मरूपतया व्यवस्थापनहेतुर्वीर्यविशेषः संक्रमणम् ।। कर्मस्थित्यनुभागयोः प्रभूतीकरणप्रयोजकवीर्यपरिणतिरुद्वर्तना ॥ कर्मस्थित्यनुभागयोईस्वीकरणप्रयोजकवीर्यविशेषोऽपवर्तना ॥ अनुदितकर्मदलिकस्योदयावलिकाप्रवेशनिदानमात्मवीर्यमुदीरणा ॥ कर्मणामुदयोदीरणांनिधत्तिनिकाचनाकरणायोग्यत्वेन व्यवस्थापनाहेतुऊर्यपरिणतिरुपशमना । उ. दयश्च यथास्थिति बद्धानां कर्मपुद्गलानामबाधाकालक्षयात्संक्रमापवर्तनादिकरणविशेषाद्वोदयसमयप्रासानामनुभवनम् ॥ कर्मणामुद्वर्तनापवर्तनान्यकरणायोग्यत्वेन व्यवस्थापनानुकूलवीर्यविशेषो निधत्तिः ॥ करणसामान्यायोग्यत्वेनावश्यवेद्यतया व्यवस्थापनाप्रयोजकवीर्यविशेषो निकाचना ॥ तत्र मूलप्रकृतिबन्धश्च ज्ञानदर्शनावरणवेदनीयमोहनीयायुर्नामगोत्रान्तरायभेदेनाष्टविधः । एषाम

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