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२०६ Qतनिधितना अगवीस भेद, अने औत्पादिकी आदि अश्रुत... निश्रित मतिमा भेद जाणवा.
२४२ चन पर्याय पण अनन्तछे अने अर्थपर्याय पण अनन्त . एफ विशेषावश्यकमां कथ्युंछे. .
२८३ मतिज्ञानलब्धि काल, जघन्यथी समकितवंतने अन्तर्मुहूर्तकाल
जाणवो. तेथकी पर मिथ्यात्वमां गमन अने विकल्पे केवलशाननी प्राप्ति. मतिनो लब्धि काल उत्कृष्टतः छासठ सागरोपम अधिक जाणवो. ते वतावे. कोइ साधु मति आदिज्ञान सहित होय. अने पूर्व कोटि वर्ष पर्यंत चारित्र पाली चार अनुत्तर विमानमां जाय, त्यां तेत्रीस सागरोपमनुं आयुष्य भोगवी पुन: अप्रतिपाति मतिज्ञानसहित मनुष्यभवमा आवी देशोन पूर्वकोटि प्रव्रज्या पाली पुनः चार अनुत्तर विमानमा जाय, पुन: अप्रतिपाति मति आदि ज्ञान सहित मनुष्यंगतिमा आवी, पूर्व कोटी वर्ष दीक्षा पाळी सिद्धि पामे. एवं चार अनुत्तर विमानमां गएलाने छासठ सागरोपम अधिक देशोन प्रग पूर्व कोटि वर्ष थाय. अथवा अच्युत देवलोकमां बापीस सागरोपमनी स्थितिए त्रण वार उत्पम या अनेदेशीन पूर्व