Book Title: Tattvabindu
Author(s): Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 195
________________ तस्यविन्दु. देखे. नवग्रैवेयकना अधस्त्य मध्यम अवेयक देवताओ छठी नरक सुधी देखे. अने उपरितन अवेयक देवो सातमी नरकने देखे. अनुत्तरविमानवासी देवताओ संभिन्न अने चारे दिशामा पोताना ज्ञानवडे व्याप्त, कन्याचोलक संस्थान एवी लोकनाडीने अवधिज्ञानवडे देखे. वैमानिकनुं अधोक्षेत्र विषयक अवधिज्ञान का. तिच्छे अने उंचं पण गुरुगमथी धारी लेवु (वि) ६२२ द्रव्यथी परभावधिज्ञानी सर्वरूपि द्रव्यने देखे. क्षेत्रथी परमाव विज्ञानी अलोकमां पण लोकप्रमाण खांडवां देखे. एटलं सामर्थ्य बताव्यु. कालथी अवधि असंख्यात उत्सर्पिणी अवसर्पिणीने देखे. भावथी अवधिज्ञानी; रूपिद्रव्यगत असंख्यात पर्यायने देखे. घउदराजने देखतो छतो अवधिज्ञानी प्रतिपाती अने अलोकनो एक आकाश प्रदेश देखतो अप्रतिपाति अवधि ज्ञानी जाणवो. ६१३ अवधिज्ञानी परमाणु आदि देखे त्यारे अवश्य बादर द्रव्यने ... देखे. अने बादर द्रव्य देखता सूक्ष्मद्रव्य देखे एवो नियम नथी. १२४ मनःपर्यायज्ञानी मनोद्रव्याणि सूक्ष्माण्यपि पश्यति चिन्तनीयंतु घटादि स्थूरमपिन पश्यति. मनापर्यवज्ञानी सूक्ष्मपण मनोद्रव्योने नाणेळे. चिन्तनीय घटादि स्थूलछे तोपण तेने देखी शकतो नथी.

Loading...

Page Navigation
1 ... 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202