Book Title: Tattvabindu
Author(s): Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 200
________________ तबिन्दु . ( 141 ) ६४१ बहु आलाप अने अयोग्यने उपदेश आपवानी टेव भूल. ६४२ समय अने पात्र विना गुह्य सूक्ष्मतत्व प्रकाशीश नहि. !!! ६४३ जीव जीव प्रति भिन्न भिन्न कर्मछे. क्षयोपशम पण भिन्नछे. अनादि काली मिध्यात्व अने समकित जगत्मांचे. ६४४ संघयण, काल, ज्ञान अने मनोबलनी योग्यताथी ध्यान थइ शकेछे. ६४५ ज्ञाननी अनन्त शक्ति छे. ज्ञानि गुरुनो समागम अति दुर्लभछे. अज्ञानी, ज्ञानिने पारखी शकतो नथी. ६४६ धूळना ढगलामांथी खांडना कणिया शोधी काढवाना करतां आ शरीररुपी पुद्गल ढगलामां व्यापी रहेला आत्माने ध्या• नोपयोगथी शोधी काढवो ते अति दुर्लभ कार्यछे. ६४७ अज्ञानी जीव जे शरीरना उपर ममत्वभाव राखेछे: तेना करोड अंशे पण आत्मा उपर राखतो नथी. ज्ञानी आत्मामांज रमणता करे छे. ६४८ अमति वद्ध विहारथी ज्ञानीने सहज दशानो अनुभव थायछे. ६४९ क्रिया शास्त्रछे अने ज्ञान योद्धो छे.

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