Book Title: Tattvabindu
Author(s): Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 175
________________ (1 ) तस्पवितुः ५४७ परिकर्म, सम, पूर्वगत, अनुयोग, अने चूलिका आपांचभेद पष्टि वादनाछे. तेमाथी पूर्वगत नामना द्वितीयभेदमा चतुर्दश पूर्व समाय. ५४८ जातिस्मरण अने अवधिज्ञानना उत्पादनो हालमा निषेध नथी ५४९ अपर्याप्ता सर्वे जीव ओजाहारी जाणवा. ५५० भाषानुं संस्थान वज्राकारे होयछे. ५५१ परमाधामीभोनी करेली वेदना पहेली त्रण नरकोमांछे. ५५२ मुनिराजो उत्कृष्टथी बेहायतुं अन्तर राखी सुवे. अने पात्रा वीश आंगुल दूर राखी शयन करे. ५५३ मुनियोने श्रीहिपलाल कल्पेठे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202