Book Title: Tattvabindu
Author(s): Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 186
________________ ninin ' तत्त्वबिन्दु. (10) ५९२ : गाथा. कालो खित्तं दध्वं, भावोय जहुत्तरं सुहुमभेया ॥ थोवा असंखाणंता, संखाइ जमोहिं विसयम्मि ॥१॥ कालयकी क्षेत्र असंख्यात गुण, क्षेत्रथकी द्रव्य अनन्त गुण, अने द्रव्यथी पर्याय असंख्यातगुण, वा संख्यातगुण एम अवधिज्ञान विषयमां जाणवू. ५९३ तेया भासादव्वाण, अंतरा एथ्थ लभइ पवओ गुरु लहुआ गुरु लहुयं, तंपिय तेणावतिघाइ ॥१॥ गुरु लहु तेया सन्नं, भासासण्णमगुरुं च पासेजा ..आरंभे जं दिवं, दणं पडइ तं चेव ॥२॥ तैजस द्रव्यासन्न गुरुलघुने अने भाषाद्रव्यासन्न अगुरुलघुने अवधिज्ञानी प्रारंभमां देखे. ५९४ मिथ्यात्व, अविरति, कषाय अने योगथी कर्मनो बन्ध थायछे, पांच प्रकारनां मिथ्यात्व, बार अव्रत, पच्चीश कषाय, १५ पमर पन्नरयोग ए सत्तावन उत्तरहेतु जाणवा. प्रथम गुणस्थानका : आहारक अने आहारकमिश्रयोग विना १३ तेस्योग-सर्व मळी, पंचावन हेतु प्रथम गुणस्थानकमां. ..

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