Book Title: Syadvada Manjari
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 422
________________ श्रीमद्राजचन्द्रजैनशास्त्रमालायां वादमहार्णव?६ योग-- पतंजलि-आधुनिक योगसूत्रोंके रचयिता अनेक विद्वान महाभाष्यकार और योगसूत्रोंके कर्ता पतंजलिको एक ही व्यक्ति मानते हैं। इन विद्वानोंके मतमें पतंजलिका समय ईसवी सन्के पूर्व १५० वर्ष माना जाता है। व्यास-पतंजलिके योगसूत्रोंके टीकाकार । मल्लिषेणने इन्हें पातंजलटीकाकार कहकर उल्लेख किया है। इनके समयके विषयमें भी विद्वानोंमें मतभेद हैं। कुछ व्यासको ईसवी सन्के पूर्व प्रथम शताब्दीका और कुछ ईसवी सन्की चौथी शताब्दीका विद्वान कहते है। ७ पर्वमीमांसाजैमिनी-मीमांसासूत्रोंके रचयिता। समय ईसाके पूर्व २०० वर्ष । भट-भट्रको कुमारिलभट्ट भी कहा जाता है। शबरमाष्यके टीकाकार । यह टीका श्लोकवार्तिक, तन्त्रवातिक और तुप्टीका इन तीन भागोंमें विभक्त है। समय ८ वीं शताब्दिका पूर्वभाग । मृगेन्द्र ? नेद-ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद इन चारों वेदोंमें ऋग्वेद संसारके उपलब्ध साहित्यमें प्राचीनतम माना जाता है । ऋग्वेदके समयके विषयमें बहुत मतभेद है। ऋग्वेदका समय कमसे कम ईसवी सन्के पूर्व ४५०० वर्ष माना जाता है। यजुर्वेदकी शुक्ल यजुर्वेदसंहिता और कृष्ण यजुर्वेदसंहिता नामकी दो संहिता है। ब्राह्मण-चारों वेदोंके अलग-अलग ब्राह्मण हैं । एतरेयब्राह्मण ऋग्वेदका, और तैत्तिरीयब्राह्मण कृष्ण यजुर्वेदका ब्राह्मण है । ब्राह्मण-साहित्यका समय बुद्धके पूर्व है। सूत्र-सूत्रसाहित्य वेदका अंग है। आश्वलायन ऋषिने आश्वलायनगृह्यसूत्र और वशिष्ठ ऋषिने वसिष्ठधर्मसूत्रकी रचना की है। ८ वेदान्त-- उपनिषद्-बृहदारण्यक, छान्दोग्य, मुण्डक, ईशावास्य उपनिषदें-प्राचीन ग्यारह उपनिषदोंमेंसे मानी जाती है। शंकराचार्यने इनपर टीका लिखी है। प्राचीन उपनिषदोंका समय गौतम बुद्धके पूर्व माना जाता है। शंकर-ब्रह्माद्वैत अथवा केवलाद्वैतके प्रतिष्ठापक । उपनिषद्, गीता और ब्रह्मसूत्रके टीकाकार । समय ८वीं शताब्दी है। नोट-इसके अतिरिक्त, मल्लिषेणने स्याद्वादमंजरीमें महाभारतकार व्यास, मनुस्मृति, भर्तृहरिका वाक्यपदीय, कालिदासका कुमारसंभव, माघका शिशुपालवध, बाणकी कादम्बरी, वार्तिककार, अमर और त्रिपुरार्णवके उद्धरण दिये है, अथवा इनका उल्लेख किया है।

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