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श्रीद राजबन्त आअन्न, अगास द्वारा संचालित परमश्रुतप्रभावक-मण्डल (श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला ) के
प्रकाशित अन्योंकी सूची (१) गोम्मटसार--जीवकाण्ड-श्रीनेमिचन्द्रसिद्धान्त चक्रवर्तिकृत मूल गाथायें, श्रीब्रह्मचारी पं० खूबचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्रीकृत नयी हिन्दीटीका-यक्त। यवकी वार पांडतजीने धवल, जयधवल, महाधवल और बड़ी संस्कृतटीकाके आधारसे विस्तृतटोका लिखी है। तृतीयावृत्ति ।।
मूल्य-छह रुपये । (२) स्वामिकात्तिकेयानुक्षा--स्वामिकात्तिकेयकृत मूल नाथायें, श्रीशुभचन्द्रकृत बडी संस्कृतटीका, स्याद्वाद महाविद्यालय वागणसीके प्रधानाध्यापक, पं० कैलाश न्द्रजी शास्त्रीकृत हिन्दोटी। अंग्रेजी प्रस्तावनायुक्त। सम्पादक-डा० आ० ने उणध्ये, कोल्हापुर ।
मूल्य-चौदह रुपये। (३) परमात्मप्रकाश और योगसार--श्रीयोगीन्दुदेवकृत मूल अपभ्रंश-दोहे, श्रीब्रह्मदेवकृत संस्कृत-टीका व पं० दौलतरामजीकृत हिन्दी-टीका । विस्तृत अंग्रेजी प्रस्तावना और उसके हिन्दोसार सहित । महान अध्यात्म-ग्रन्थ । डा० आ० ने० उपाध्येका अमूल्य सम्पादन । नवीन संस्करण । मूल्ए-नौ रुपये।
(४) ज्ञानार्णव--श्रीशुभचन्द्राचार्यकृत महान योगशास्त्र । सुजानगढ़ निवासी पं० पन्नालालजी बाकलीवालकृत हिन्दी अनुवाद सहित । तृतीय सुन्दर आवृत्ति ।
मूल्य-आठ रुपये । (५) प्रवचनसार-श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचित ग्रन्थरत्नपर श्रीमदमृतचन्द्रा शर्यकृत तत्त्वप्रदीपिका एवं श्रीमज्जयसेनाचार्यकृत तात्पर्यवृत्ति नामक संस्कृत टीकायें तथा पांडे हेमराजजी रचित बालावबोधिनी भाषाटीका । डा० आ० ने० उपाध्येकृत अध्ययनपूर्ण अंग्रेजी अनुवाद और विशद प्रस्तावना आदि सहित आकर्षक सम्पादन । तृतीयावृत्ति ।
मूल्य-पन्द्रह रुपये। (६) बृहद्व्यसंग्रह-आचार्य नेमिचन्द्रसिद्धांतिदेवविरचित मूल गाथा, श्रीब्रह्मदेवविनिर्मित संस्कृतवृत्ति और पं० जवाहरलालशास्त्रिप्रणीत हिन्दी-भाषानुवाद सहित । पदव्यसप्ततत्त्वस्वरूपवर्णनात्मक उत्तम ग्रन्थ । तृतीयावृत्ति ।
मूल्य-पांच रुपये, पचास पैसे । (७) पुरुषार्थसिद्धय पाय-श्रीअमृतचन्द्रसूरिकृत मूल श्लोक । पं० टोडरमल्लजी तथा पं० दौलतरामजीकी टीकाके आधारपर स्व. पं० नाथूरामजी प्रेमी द्वारा लिखित नवीन हिन्दीटीका सहित । श्रावक-मुनिधर्मका चित्तस्पर्शी अद्भुत वर्णन । पंचमावृत्ति ।
मूल्य-नोन हाये, पच्चीस पैसे । (८) अध्यात्म राजचन्द्र--श्रीमद् राजचन्द्र के अद्भुत जीवन तथा साहित्यका शोध एवं अनुभवपूर्ण विवेचन डॉ० भगवानदास मनसुखमाई महेताने गुर्जरभाषामें किया है।
मन्य-सात रुपये (९) पंचास्तिकाय-श्रीमद्भगवत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचित अनुपम गन्थराज । आ० दामृतचन्द्रमूरिकृत 'समयव्याख्या' एवं आचार्य जयसेनकृत 'तात्पर्यवृत्ति'-नामक संस्कृत टीकाओंसे अलंकृत और पांडे हेमराजजी-रचित बालावबोधिनी भाषा-टोकाके आधारपर पं० मनोहरलालजी शास्त्रीकृत प्रचलित हिन्दीअनुवादसहित । तृतीयावृत्ति।
मूल्य-सात रुपये। (१०) अष्टप्राभत-श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्य विरचित मूल गाथाओंपर थीरावजीभाई देसाई द्वारा गुजराती गद्य-पद्यात्मक भाषान्तर । मोक्षमार्गकी अनुपम भेंट।
मूल्य-दो रुपये मात्र । (११ ) भावनाबोध-मोक्षमाला-श्रीमदराजचन्द्रकृत । वैराग्यभावना सहित जैनधर्मका यथार्थस्वरूप दिखाने वाले १०८ सुन्दर पाठ हैं।
मू०-एक रुपया, पचास पैसे ।