Book Title: Syadvada Manjari
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 450
________________ श्रीमद्रराजचन्द्रजैनशास्त्रमालायां पृ० अशुद्ध इतरांशापलावी परन्तु षणणां शुद्ध इतरांशापलापी परन्तु षण्णां २४८ २५० २५७ २५९ २६१ २७० २७१ याख्या प्रज्ञप्ति वन्दनीम वन्धम् दिशन्नमसूय इम्बरेभ्यो व्याख्या प्रज्ञप्ति वन्दनीय बन्धम् दिशस्तमसूय डम्बरेभ्यो वत २७२ २७२ २१ बत २७३ २९३ अंतिम १५ अंतिम १० छह मेघविजयगणि विपाकसूब प्रश्नव्यकरण करकेएक मनको मान सिद्धान्तोंमें मे माना। है मेघविजयगणि विपाकसूत्र प्रश्नव्याकरण करके एक मनकी माना सिद्धान्तोंमें माना है। मुभयं ३०३ ३०६ ३१० ३१२ भुमयं ३१४ ३१४ ३२० ३२४ Consciousness पदार्थ करते ३२९ ന Consciosness पदार्थ करसे नही रचनाकी चर्चाकी सांस्कृतिके मास्तिष्कको Pioblems नहीं ന ३३० ३३१ ३३२ रचना की चर्चा की सांस्कृतिक मस्तिष्दाका Problems ന ന ३३३ बेबर वेबर ന ന ३३३ ३३४ ३३४ ३३४ ന ന ന ३३५ ന ३३६ ३३६ बस्त्र स्वीकार सर्बथा बाचस्पतिमिश्र तत्त्वर्सग्रहपजिका रचनाकी रचनाको सिद्धातोंमें अर्वाचीव पं० बेचनदास कियाहै वस्त्र स्वीकार सर्वथा वाचस्पतिमिश्र तत्त्वसंग्रहपंजिका रचना की रचना की सिद्धान्तोंमें अर्वाचीन पं० बेचरदास किया है १३ ३४९ ३५१ अंतिम २६

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