Book Title: Syadvada Manjari
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 440
________________ ३८ अतिशय - मूल तीन अतिशय - चौंतीस अतिशय श्वेताश्वतर उपनिषद् और पातंजल योगसूत्रोंमें अतिशय -मज्झिमनिकाय आदि बौद्ध शास्त्रो में अतिशय आजीविक ( तेरासिय ) —नंदवच्छ, किससंकिच्च और मक्वलिगोशालतीन मुख्य नायक — गोशाल के सिद्धांतोंका भगवती श्रीमद्राजचन्द्रजैनशास्त्रमालायां परिशिष्टों के विशेष शब्दोंकी सूची (११) नास्तिक शंकराचार्य ( टि. ) - आनन्दघनजी और चार्वाकमत चार्वाकों के सिद्धांत - चार्वाक साहित्य ज्ञानके भेद - प्रत्यक्ष - परोक्षकी परिभाषा - सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष - मतिज्ञानके ३३६ भेद दु:षमार ( पंचम काल ) - उत्सर्पिणी- अवसर्पिणी-काल — कर्मभूमि- भोग- भूमि चतुर्थकाल में तरेसठशलाका पुरुष - पंचम कालमें कल्कीका जन्म - प्रलय — ब्राह्मण ग्रन्थों में चार युग - बौद्ध शास्त्रों में अनेक कल्प द्रव्यषट्क ( छह द्रव्य ) - श्वेताम्बर विद्वानोंमें कालके संबंध में मतभेद आदि जैन ग्रंथों में उल्लेख आधाai ( अधः कर्म ) अपूर्नबंध उत्पादव्ययधीव्य — व प्रत्यय और परप्रत्यय उत्पादव्यय - परस्थानपतितहानिवृद्धि - प्रायोगिक और वैनसिक उत्पादव्यय केवली — विविध केवली वैदिक ग्रंथोम केवली - वौद्ध ग्रंथों में बुद्ध, अर्हत् और बोधिसत्वकी कल्पना केवलीस मुद्धात - जैन आचार्यों में मतभेद - उपनिषदोंको आत्मव्यापकतासे समन्वय - पातंजल योगदर्शनकी बहुकाय निर्माण क्रियासे तुलना चार्वाकमत ( लोकायत - नास्तिक - अक्रियावादी ) — दो भेद चार्वाक साघु २८५-२८६ २८५ 27 २८६ २८६ २८६ ३५१-३५२ ३५१ ३५१ २९२-२९३ २८७ २८६-२८७ २८७ २८७ २८७ २८३ - २८४ २८३ २८४ २८४ २८९-२९० २९० क्रियावादी - अक्रियावादी — जैन और बौद्ध शास्त्रो में क्रियावाद और अक्रियावाद २८९ द्वादशांग २९० ३५२ ३५२ - षट्दर्शन में काल संबंधी मान्यता — जैन ग्रन्थों में कालके विषय में चार मत (टि.) - दिगम्बर ग्रंथ और हेमचन्द्रका काल संबंधी सिद्धांत ३४९-३५० ३४९ ३४९ - शंका-समाधान - वारह अंग दिगम्बर श्वेताम्बरोंका मतभेद — आगमों का समय निगोद न्यायवैशेषिक दर्शन अक्षपाद और कणाद - प्रमाणके लक्षण ( टि. ) - सात पदार्थ (टि. ) — न्याय-वैशेषिकोंके समानतंत्र - मतभेद वैदिक साहित्य में ईश्वरका रूप ३४९ ३५० ३५० ३५० ३००-३०१ ३०० " ३०१ २८२-२८३ २८२ २८२ 37 17 17 33 २९३ २९६ २९३ २९३-२९४ २९४ २९५ २९६ २९७-२९९ २९७-२९८ २९७ २९९ ३०१-३०२ ३२२-३३१ ३२२-३२३ ३२२ ३२३ ३२३ ३२४ ३२४-३२५

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