Book Title: Syadvada Manjari
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
View full book text
________________
परिशिष्टोंमें उपयुक्त ग्रन्थोंकी सूची (१२)
२९०,२९९ २८७,२८८
२८८ २८८,२९६
तत्त्वार्थभाष्य उमास्वाति अनगारधर्मामृत पं. आशाधर २९३ तत्त्वार्थभाष्यवृत्ति सिद्धसेनगणि अनुयोगद्वारसूत्र
३०० तत्त्वार्थराजवार्तिक अकलंक अभिधर्मकोश वसुबन्धु २८३,२८६ तत्त्वार्थश्लोकवातिक विद्यानन्द ३१६,३२०,३२१ तन्त्रवार्तिक
कुमारिल अभिवम्मत्थसंगहो ( पाली ) अनुरुद्ध २९२ त्रिलोकसार नेमिचन्द्र अभिधानचिन्तामणि हेमचन्द्र
वसुबन्धु अभिधानराजेन्द्रकोष राजेन्द्रसूरि २९३ त्रिशिकाभाष्य स्थिरमति अवयविनिराकरण पं. अशोक
२८२
३२३ त्रिशिका
३१२
३१२,३१३
३०७
आ
आस्तिकवाद (हिन्दो) पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय ३३०
उत्तराध्ययन
२९३
क
दर्शन और अनेकांतवाद पं. हंसराज शर्मा ३४४ दीघनिकाय ( मराठी ) अनु. प्रो. राजवाड़े ३०३,
३२०,३५२ द्रव्यसंग्रहवृत्ति ब्रह्मदेव २८९,२९६,३०० द्रव्यानुयोगतर्कणा भोजदेव २८७,२९६ द्वात्रिंशद द्वात्रिंशिका सिद्धसेन दिवाकर २९२,३०९ द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका उ. यशोविजय २८६,२८८,
२९०,२९२,३१६
कर्मग्रन्थ चौथा कालचक्र (हिन्दी) कूर्मपुराण कौषीतको उपनिषद्
देवेन्द्रसूरि
२८९ डा. सिद्धेश्वर शास्त्री २९३
२८२ २८८
२८२
धम्मपद
३२०
२८५
गरुडपुराण गुणस्थानक्रमारोहण राजशेखरसूरि २८९ गोम्मटसार नेमिचन्द्र २८७ नन्दिसूत्र
३०० गोम्मटसारटीका केशववर्णी
नियमसार
कुन्दकुन्द नृसिंहपुराण
२९१ छान्दोग्य उपनिषद्
३१२ न्यायकोष भीमाचार्य ३२२,३३३,३३५,३४९
न्यायकंदली श्रीधरभट्ट ३२३,३२९ जैनजगत् ३३२ न्यायकुसुमांजलि उदयन
३२८-९ जैनदर्शन (गुज.) अनु. पं. बेचरदास दोशी ३५० न्यायखंडखाद्य उ. यशोविजय २८९ जैनतर्कपरिभाषा उपाध्याय यशोविजय ३०० न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि उदयन
३२२ जैनसिद्धांतदर्पण (हिन्दी) पं. गोपालदास बरैया २८७ न्यायभाष्य वात्स्यायन ३२२,३२६,३३३ जैनागम साहित्यमें भारतीय समाज
न्यायमंजरी जयन्त ३०७,३२२,३२९ जगदीशचन्द्र जैन
३५२ न्यायवार्तिक उद्योतकर
३२२ तत्त्वसंग्रह शांतरक्षित २९४,३०५,३१८,
न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका वाचस्पतिमिश्र ३०७
न्यायसूत्रवृत्तितात्पर्यविवृत्ति पं बालकृष्ण २९० तत्त्वसंग्रहपंजिका कमलशील ३०४,३०५, न्यायावतार ( गुजराती ) पं. सुखलालजी ३००
३१६,३२० तत्त्वयार्थार्थ्यदीपन क्षेमेन्द्र
३३४ पद्मपुराण
३३६.३४४ न्यायपूनतालापासप बार
२९१

Page Navigation
1 ... 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454