Book Title: Syadvada Manjari
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 421
________________ स्याद्वादमञ्जरीमें निर्दिष्ट ग्रन्थकार (२) न्यायबिन्दुटीका-धर्मोत्तरने न्यायबिन्दुके ऊपर टीका लिखी है समय ईसवी सन् ८४७ । अशोक-पं० अशोकका समय ईसवी सन् ९००है। उन्होंने अपोहसिद्धि, सामान्यदूषणदिक प्रसारिता और अवयविनिराकरण ग्रंथ लिखे हैं। प्रज्ञाकरगुप्त-प्रज्ञाकरगुप्तका समय ईसवी सन् १९४० है । मल्लिषेणने इनका अलंकारकारके रूपमें उल्लेख किया है । प्रज्ञाकरगुप्तने प्रमाणवातिकालंकारकी रचना की है। मोक्षाकरगुप्त-मोक्षाकरगुप्तका मल्लिषेणने दो जगह उल्लेख किया है। समय ई. स. ११०० के लगभग । तत्त्वोपप्लवसिंह-यह ग्रंथ पाटणके जैन भंडार से मिला है। इसके कर्ता जयराशिभठ्ठ है । ये तत्त्वोपप्लवादो अथवा तत्त्वोपप्लवसिंहके नामसे भी कहे जाते थे। ३ न्याय अपवाद-न्यायसूत्रके प्रणेता । इन्हें गौतम भी कहा जाता है। न्यायदर्शन योगदर्शनके नामसे भी प्रसिद्ध है। कुछ विद्वान न्यायसूत्रोंकी रचनाको ईसवी सन्के पूर्व, और कुछ ईसवी सन्के पश्चात स्वीकार करते हैं। न्यायवार्तिक-न्यायवार्तिकके कर्ता प्रसिद्ध नैयायिक उद्योतकर हैं। समय ईसवी सन्की ७ वीं शताब्दीका पूर्वार्ध । जयन्त न्यायमंजरीके कर्ता । समय ईसवी सन् ८८० । न्यायभूषणसूत्र-अपर नाम न्यायसार, इसके कर्ता भासर्वज्ञ है। समय ईसवी सन्को दसवीं शता, ब्दिका आरंभ। उदयन-उदयन आचार्य दसवीं शताब्दिके उत्तर भागमें हुए हैं। इन्होंने वाचस्पतिमिश्रकी न्यायतात्पर्यटीकापर न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि, किरणावलि आदि ग्रंथोंकी रचना की है। ४ वैशेषिक-- कणाद-वैशेषिक सूत्रोंके रचयिता कणादको कणभक्ष अथवा औलुक्य नामसे भी कहा जाता है। वैषेषिकसूत्रोंकी रचनाका समय कमसे कम ईसाकी प्रथम शताब्दि । प्रशतपाद-वैशेषिकसूत्रोंपर प्रशस्तपादभाष्यके कर्ता । समय ईसवी सन्की चौथी-पांचवीं शताब्दि । श्रीधर-प्रशस्तपादभाष्यपर न्यायकन्दलीके रचयिता। समय ई. स. ९९१ । ५ सांख्य-- कपिल-सांख्यमतके आद्यप्रणेता। कपिलको परमर्षि कहा गया है। अर्घ-ऐतिहासिक व्यक्ति । आसुरि-कपिलके साक्षात् शिष्य थे। समय ईसवी सन्के पूर्व । विन्ध्यवासी-वास्तविक नाम रुदिल । समय ईसाकी तीसरी-चौथी शताब्दी । ईश्वरकृष्ण-सांख्यकारिका अथवा सांख्यसप्ततिके कर्ता। इनके समयके विषयमें विद्वानोंमें मत भेद है । कोई ईश्वरकृष्णको ईसवी सन्के पूर्व प्रथम शताब्दिका, और कोई ईसाकी चौथी शताब्दीका विद्वान् कहते हैं। गौड़पादभाष्य-शंकराचार्य के गुरू गोविन्दके गुरू । समय ईसवी सन्की ८ वीं शताब्दीका आरंभ । वाचस्पति--सर्वतन्त्रस्वतंत्र वाचस्पतिने सांख्यदर्शनपर सांख्यकारिकापर सांख्यतत्त्वकौमुदी नामकी लिखी है। वाचस्पतिमिश्रने न्याय, योग, पूर्वमीमांसा और वेदान्त दर्शनोंपर भी ग्रंथ लिखे हैं। समय ईसवी सन् ८५० ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454