Book Title: Sushil Nammala
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram
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________________ अनुक्रमणिका 676 m mmmm.............. ............. संलाप: 857 2665 1240 2466 675 2712 2708 2744 2638,2674 742 सवर्तः 369 | संवेशः सलिल प्रियः 2327 संवेशनं सवः 1367 सव्यं संवत्सरः 157 सव्यसाची सवत् 158,2767 सव्येष्ठः सवनं 1030 सशयः संवननं 2727 संशयालुः संवरः 2136,1855,1645, संशायितः 1946 संशितं . सवर्णः 2656 संश्रुतं सबतंकः 308,1627 संश्लेषः . संसक्त सवया: संसद् सवलिः 127 संसरणं संवाद्यः संसारी संवाहक: संसिद्धिः संवित् 402 सस्कारः 1999,893 संस्कृतः सविता संस्तरः संवित्तिः. 454 संस्तवः सवितृदेवतः संस्त्यागः सविध 2635 संस्था सविनी संस्थान सवीतं . 2683 | संस्थितिः 2683,215 | संस्फेटः स वेगः 4:4 / मंस्फोट 2740 2484 . . 765 सवित्री 2501 2466 510,412 1109,1367 272.5 1668 80 1660.2762 संवृत्तं 18 1325 1325

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