Book Title: Sushil Nammala
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

View full book text
Previous | Next

Page 864
________________ (81 ) ETIRTHAKHAIRAMA ARAMANAPANIPANANDININMAMRAPANALANDANARAPARAMAY प्राचीन कालमां परम पूज्य प्रातः स्मरणीय कलिकाल सर्वज्ञ प्राचार्य पुङ्गव श्रीमदहेपचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज साहेबे जेम 'श्रीअभिधानचिन्तामणि' कोश रच्यो हतो तेम पा अर्वाचीन कालमा स्वर्गीय शासन सम्राट् प० पू० प्राचार्य श्रीमद् विजयनेमिसूरीश्वरजी म० सा० ना पट्टालंकार स्वर्गीय साहित्य सम्राट् प० पू० प्राचार्य श्रीमद्विजयलावण्यसूरीश्वरजी म. सा० ना पट्टधर कविदिवाकर प० पू० प्राचार्य श्रीमद् विजयदक्षसूरीश्वरजी म० सा० ना पट्टधर साहित्यरत्न प० पू० प्रा० श्रीमद् विजयसुशीलसूरीश्वजी म० श्रीए स्वरचित 'श्रीसुशीलनाममाला' कोश ए अाजना संस्कृतनो सारो अभ्यास करनारा अने शब्द कोषमां पारंगत विजेता थनाराम्रो माटे परम प्रशंसनीय अने अादरणीय एवं खास अभ्यासनीय छ / * लि. शिवगंज श्री साधु-साध्वी जैन पाठशाला दिनाङ्क शिवगंजना प्राध्यापक . जेशिंगलाल चुनीलाल चाणस्मावाला 14-8-76 . [जैन पण्डित ] 卐 शासनाशयशामाशामाशा शाशशशशशशशशशश 卐 卐

Loading...

Page Navigation
1 ... 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878