Book Title: Sushil Nammala
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

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Page 868
________________ ( 85 ) 7. विश्वविख्यात परम पूज्य कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेम चन्द्राचार्य महाराज श्री ने सदीयो पहले रचा हुआ महा ग्रंथ 'श्रीअभिधानचिन्तामणि' कोश का पालंबन लेकर आपने यह 'सुशीलनाममाला' नामक ग्रन्थ की सुंदर रचना करके आम जनता के सामने साहित्य सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया है यह बहुत ही प्रशंसनीय और अनुमोदनीय है। यह ग्रंथ जैसे संस्कृत पढने वाले बालकों के लिए उपयोगी है उसी प्रकार विद्वानों-बुद्धिमानों के लिए भी अति उपयोगी है। इसी प्रकार पुस्तक का यह कोष कॉलेज में पढाया जा सका है। आपने अनेक ग्रन्थों का सर्जन करके समाज पर बहुत बडा उपकार किया है। ..आपकी अजोड साहित्य सेवा और शांत स्वभाव दोनों मिलकर पुनः अनेक ग्रंथ के निर्माण भविष्य में भी कर सकेंगे। आप पूज्य गुरुदेव से विनंति है कि समय 2 पर ऐसी साहित्य सेवा करके जगत का उपकार करे। आप श्री को सदैव मेरा कोटि कोटिशः वन्दन हो। लि. सिरोही, राजस्थान / ! आपका चरणोपासक विधिकारक दिनाङ्क मनोजकुमार बाबुलालजी हरण 22-10-76 ( बी० कॉम०) KATARIRAINRITERABANKARNATAसाथ

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