Book Title: Sushil Nammala
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

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Page 861
________________ [ 78 ] 9555555555555555555555555 अभिप्राय Hasssmasecsee. "सुशीलनाममाला" ना छपातां फारम जोयां. कलिकाल-सर्वज्ञ प्राचार्य श्रीहेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. ना "अभिधान चिंतामणो" कोशना प्राधारे रचायेली आ नाममालामां अनेक शब्दोनो संग्रह करेलो होवाथी विस्तृत बनी छे, छतां तेनी रचनामां प्रासाद गुण अने सरलता होवाथी विद्यार्थीने कंठस्थ करवानी साहजिकतानो अनुभव थशे. // प्रामां लिंगोनो निर्देश साथे साथे होत तो ते वधु अनुकूल बनत. प्राचार्य विजयसुशीलसूरि म० नी अनेक विषयोनी रचनामां आ कृति भात पाडे एवी छे. कात्तिको पूणिमा ६/बी, वीरनगर सोसायटी जनवावाडज अमदाबाद-१३ / म दिनाङ्क 6-11-76 / अम्बालाल प्रेमचन्द शाह [ जैन पंडित ] // // 9999999999999999999999

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