Book Title: Supasnahachariyam Part 03
Author(s): Lakshmangani, Hiralal Shastri
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
विजयाकहा।
६३७
पाणेहिं परिमुका मज्झिमगुणसंज्या मरेऊण | मणुए उववन्ना सिज्झिस्सइ खवियकम्मंसा ||२९|| ॥ इत्यतिथिव्रते चतुर्थातिचारदृष्टान्तः समाप्तः ॥
आकटीकण्ठप्रमाणं भुक्ता रजन्याश्चरमयामे । सम्यक्त्वेन समेतं वान्तं तत्तत्क्षण एव ॥२८॥ प्राणैः परिमुक्ता मध्यमगुणसंयुता मृत्वा । मनुजेषूपपन्ना सेत्स्यति क्षपितकर्मांचा ॥२९॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220