Book Title: Sulabh Dhatu Rup Kosh Part 01 02 03
Author(s): Krushnaji B Virkar, Kulchandravijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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Roots with Important Forms
१०९
Aorist
Bene- dictive
Desidora.
tive
Perfect
3rd sing. 3rd per. 3rd per. Act. Pass.
ging. | sing.
Causal Future !
Pres. | 3rd per.
Participle Participle
sing.
वीत्
अक्षोभीत् क्षुभ्यात् चुक्षोभिपति चुक्षुभ्वस् क्षोभिष्यमाण क्षोभयति-ते
अक्षोभि अक्षा- अक्षायि क्षायात् , चिक्षासति चक्षिवस् क्षास्यत् क्षपयति-ते
मीत क्षयात् । अक्ष्णा- अश्गावि, क्ष्णूयात् चुक्ष्णूषति चुणुवस्ण विष्यत् क्षणावय
ति-ते अखनीत् अखानि खन्यात्, चिखनिषति-ते, चख्निवस् , खनिष्यत्, खानयति-ते. अखानीत्, खायात;
चाटनान | खनिष्यमाण अखनिट खनिपोष्ट अखा- अखादि| खाद्यात् | चिखादिपति चखाद्वस्खादिष्यत् खादयति। अखित्त अखेदि खित्सीष्ट चिखित्सत चिखिदान । खेत्स्यमान खेदयति-ते. अखैत्सीत् ., खिद्यात् चिखित्सति. चिखिद्वस् खेत्स्यत् अखेलीत् अखेलि खेल्यात् चिखेलिपति चिखेल्वम् खेलिष्यत् खेलयति
दीत
काण
ज्यमापन
अजीग- अगणि गण्यात्, जिगणयि. गणयाचकृवस्, गणयिष्यत्, गणयति-ते णत्- त गणयिषीष्ट पति-ते अजगणत-त अगदीत्, अगादि गद्यात् जिगदिषति | जगद्वस गदिष्यत् गादयति-तें अगादीत् अगमत् अगमि गम्यात् जिगमिषति जग्मिवस्, गमिष्यत गमयति-ते
जगन्वस
संगस्यमान
समगस्त समगमि संगसीट, | संजिगंसते संजम्मान समगस्त . संगसीष्ट मगीत् अगजि मात् जिगार्जियति जगज़स्
संगमय
ति-ते गर्जयति-ते -
गर्जियत्
moods.
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