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, 'पाठ २१--लोगस प्रश्नोत्तरी [८१ कित्तिय: जिनका (देवताओं के इन्द्र, असुरों के इन्द्र तथा नरेन्द्र तीनो लीक) ने कीर्तन किया है। वंदिय - वन्दन किया है। महिया-पूजन किया है (ऐसे)। जे-जो। एये। लोगस्स- (तीनो) लोक मे। उत्तमा- उत्तम। सिद्धासिद्ध हैं (वे मुझे)। प्रारुग्ग- सिद्धत्व (मोक्ष और उसके , उपाय)। बोहि = १. बोधि (सम्यक्त्व) का। . लाभं = लाभ (और) उत्तम - उत्तम । वरं %3D श्रेष्ठ । . समाहि २. समाधि (चारित्र) । “दितु = देवे ।
। चंदेसु-चन्द्रो से भी । निम्मलयरा:अधिक निर्मल प्राइच्चेसु- सूर्यों से भी। अहियं - अधिक । पयासयरा%3D प्रकाश करने वाले । वर-श्रेष्ठ । सागर-सागर (केसमान)। गंभीरा - गभीर । सिद्धा-सिद्धः । , मम = मुझे। सिद्धि - सिद्धि (मोक्ष)। दिसंतु- दिखावे (देवे) -
पाठ २१ इक्कीसवा लोगस्स प्रश्नोत्तरी
प्र० : 'लोगस्स' सामायिक सूत्र का कौनसा पाठ है ? - . . उ० : पाँचवाँ पाठ है। प्र० : यह पाठ कब बोला जाता है . उ० • ध्यान पारने का पाठ बोलने के बाद तथा सामायिक सूत्र • पालते समय यह कायोत्सर्ग में भी बोला जाता है। प्र० : इस पाठ का दूसरा नाम क्या है ?