________________
पाठ २३-- नमोत्थुण प्रश्नोत्तरी [ ६१ परन्तु उन्होने ससार मे रहते जो-कुछ सासारिक कार्य
किये, उसकी स्तुति नहीं करनी चाहिए। प्र. : नमोत्थुरण के पढ़ने से क्या लाभ हैं ? उ० : लोगस्स के पढने से जो लाभ हैं, प्रायः वे ही लाभ
नमोत्थुरण से भी होते हैं, क्योकि दोनो मे तीर्थंकरो का
कीर्तन, वन्दन और पूजन किया गया है। प्र० : लोगस्स और नमोत्थुग मे क्या अन्तर है ? उ० : लोगस्स में प्रधान रूप से १. नाम-स्मरण २ नाम-स्तुति
३. नमस्कार और ४. प्रार्थना है तथा नमोत्थुण मे
१. गुरग-स्मरण २ गुण-स्तुति और ३. नमस्कार है। प्र० : जबकि लोगस्स और नमोत्थुरण दोनो समान लाभ वाले
हैं, तब दोनो की क्या आवश्यकता है ? उ० : १. नाम-स्मरण, नाम-स्तुति, प्रार्थना, गुण-स्मरण, गुण
स्तुति, नमस्कार आदि सभी भक्ति के विविध रूप हैं। सभी रूपो से की गई भक्ति, सर्वाङ्गीण होती है, अतः लोगस्स, नमोत्थुरणं दोनो आवश्यक है। २. सभी की आत्माएँ समान नहीं होती। किसी की नाम-स्मरण और नाम-स्तुति-रूप भक्ति मे विशेष तल्लीनता होती है, तो किसी की प्रार्थना मे विशेष 'तल्लीनता होती है, किसी की गुण-स्मरण और गुण-स्तुति मे विशेष तल्लीनता होती है, तो किसी की नमस्कार मे विशेष तल्लीनता होती है। इनमे से कोई भी भक्त भक्ति के लाभ से वचित न रहे-इसलिए भी लोगस्स तथा नमोत्थुरण दोनो आवश्यक हैं। ३. कोई नाम-स्मरण या नाम-स्तुति या प्रार्थना या गुणस्मरण या गुरण-स्तुति या नमस्कार इनमे से-किसी एक