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___११४ ] जैन सुबोध पाठमाला--भाग १
__ पॉच ज्ञान ज्ञान १. द्रव्यों में रहे हए विशेप गूण को जानने की लब्धि
(शक्ति) तथा २ विशेष गुण का उपयोग (जानना)।
१. मति ज्ञान : १. इन्द्रिय और मन की सहायता से रूपी तथा अरूपी द्रव्यो मे रहे हए विशेष गुण को जानने की लब्धि (शक्ति) तथा २ विशेष गुण का उपयोग (जानना)।
२. श्रुत ज्ञान : श्रुत की (शास्त्रो की) सहायता से रूपी तथा अरूपी द्रव्यो मे रहे हुए विशेष गुग को जानने की लब्धि (शक्ति) तथा २ विशेष गुण का उपयोग (जानना) ।
३. अवधि ज्ञान : १ मात्र आत्मा की सहायता से केवल रूपी द्रव्यो मे रहे हुए विशेष गुण को जानने की लब्धि (शक्ति) तथा २ विशेष गुण का उपयोग (जानना)।
४. मनःपर्याय ज्ञान : १. मात्र आत्मा की सहायता से केवल मन की पर्यायो को जानने की लव्धि (गक्ति) तथा २. विशेष गुण का उपयोग (जानना)।
५. केवल ज्ञान : १. मात्र आत्मा की सहायता से सम्पूर्ण रूपी-ग्ररूपी द्रव्यों में रहे हुए विशेप गुगो को जानने की लधि (शक्ति) तया २ विशेष गुण का उपयोग (जानना)।
तीन अज्ञान १. मति अज्ञान, २. श्रुत अज्ञान, ३. विभंग झान : अज्ञान और अज्ञान के इन तीनो भेदो का अर्थ, ज्ञान और ज्ञान के तीनो भेदो के अर्थ के समान है। अन्तर यही है कि सम्यगदृष्टि का ज्ञान 'ज्ञान' माना गया है पोर मिय्यादृष्टि का ज्ञान 'अज्ञान' माना गया है।