Book Title: Stotradi Sangraha
Author(s): Kantimuni, Shreedhar Shastri
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ अजितशान्ति स्तवनम् ॥ देवी अपने पति जितशत्रुराजाके साथ चोपट खेलने लगी परन्तु परम प्रभावशाली पुत्र गर्भमें होनेसे जितशत्रु विजयादेवी को न जीत सके इस हेतु पुत्रका नाम अजित रखा । शान्तिनाथ स्वामी सोहलवें तीर्थंकर जिस समय अपनी माता के गर्भ में आए उस समय से जगतमें परममंगल होने लगा और नानाप्रकारके विघ्नों की शान्ति होनेलगी इस हेतु इन्होंका नाम शान्तिनाथ रखागया । ( गाथा ) ( गाहा ) ववयमं गुलभावे तेहं विउलतवनिम्मल सहावे । निरुवममहप्प भावे थोस्सामि सुसिन्भावे ||२|| (छाया) 4 व्यपतगतमंगलभावौ विपुलतपोनिर्मलस्वभाव निरुपमहत्प्रभाव सुदृष्टसद्भाव तौ ( अजितशान्तिनामानौ ) अहं स्तोष्ये । (पदार्थ) ( ववगय ) प्रनष्टहोगए हैं ( मंगुल ) अशोभन ( भावे) परिणाम जिन्होंके ( विउल ) विस्तीर्ण (तव)

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 214