Book Title: Stotradi Sangraha
Author(s): Kantimuni, Shreedhar Shastri
Publisher: ZZZ Unknown
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॥ श्रीधीतरागायनमः ॥ श्रीनंदिषणसरिबिरचितमजितशान्ति
स्तवनं प्रारभ्यते.
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(गाथा)
(गाहा) अजिअं जिअसव्वभयं संतिं च पसंतसव्वंगय. पावं ॥ जयगुरु संतिगुणकरे दोवि जिणवरे पणिवयामि ॥ १ ॥
(छाया) जितसर्वभयं अजितं च प्रशांतस+गदपापं शांति च शान्तिगुणकरी जगद्गुरू (तो) द्वावपि जिनवरौ ( अहं) प्रणिपतामि।
(पदार्थ ) (जिअ ) जीत लियेहैं ( सव्वभयं ) सप्तविधभय
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