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द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो० एम०एन० ठाकुर ने की। द्वितीय सत्र में जिन विद्वानों ने अपने आलेख प्रस्तुत किए उनमें मुख्य हैं - श्री अनिल कुमार जैन (अर्थशास्त्र विभाग, का०हि०वि०वि०), डॉ० कमलेश कुमार जैन (अध्यक्ष, जैन दर्शन विभाग, प्रा०वि०धर्म० वि० संकाय, का०हि०वि०वि०), श्री जमनालाल जैन, श्री दीपक रंजन, श्री निवीन कुमार श्रीवास्तव एवं श्री राहुल कुमार सिंह। संगोष्ठी के तृतीय समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो० आर०सी० शर्मा० (निदेशक ज्ञान प्रवाह, वारणसी) ने किया। इस सत्र में पूर्व पठित आलेखों पर विशद् चर्चा हुई जिसमें प्रो० महेश्वरी प्रसाद, डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, डॉ० अनिल कुमार जैन, प्रो० सुदर्शन लाल जैन, डॉ० कमलेश कुमार जैन, डॉ० राजकुमार श्रीवास्तव आदि विद्वानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ० डी० पी० अग्रवाल ने किया।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ में योग शिविर सम्पन्न दि आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के तत्त्वावधान में एक छः दिवसीय योग शिविर का आयोजन पार्श्वनाथ विद्यापीठ में दिनांक २४ अगस्त से २९ अगस्त २००५ तक किया गया। गुरु रविशंकर द्वारा प्रस्थापित 'दि आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के योग्य प्रशिक्षुओं ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं विज्ञान के १०० छात्र-छात्राओं को योग एवं तनाव से मुक्ति का सफल प्रशिक्षण दिया। इस शिविर में दृश्य और श्रव्य माध्यम से योग के विभिन्न पहलुओं का ज्ञान कराया गया। श्रमण संघीय उपप्रवर्तक श्री राममुनिजी महाराज पार्श्वनाथ विद्यापीठ में
श्रमण संघीय उपप्रवर्तक, व्याख्यान वाचस्पति, सिद्धान्ताचार्य प०पू० श्री राममुनिजी महाराज पार्श्वनाथ विद्यापीठ में अध्ययनार्थ पधारे हैं। आपकी दीक्षा २५ अप्रैल, १९६६ को शासनप्रभावक श्री सुदर्शनलाल जी महाराज के द्वारा बुटाना (हरियाणा) में हुई थी । आप हिन्दी, अंग्रेजी विषय में एम० ए०, साहित्यरत्न एवं पी-एच०डी० हैं। जैन
श्वेताम्बर परम्परा के अनेक आगम आपको कण्ठस्थ हैं। आप जैन आगमों के तलस्पर्शी विद्वान हैं। आपने अनेक मण्डल एवं सस्थाओं का निर्माण किया है। आप विद्यापीठ में कुछ दिन प्रवास कर शिखरजी की यात्रा पर जायेंगे तथा वहा से वापस आकर पुन: लखनऊ के लिये प्रस्थान करेंगे जहां आपका अगला चातुर्मास होना सुनिश्चित है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ में चल रही अकादमीय गतिविधियों से मुनिश्री सन्तुष्ट और प्रसन्न हैं।
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