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जैन जगत्
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मुनिराज जम्बूविजयजी को दसवाँ आचार्य हेमचन्द्रसूरि सम्मान जसवन्ता धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा स्थापित एवं भोगीलाल लहेरचन्द प्राच्य विद्या संस्थान द्वारा संचालित दसवाँ आचार्य हेमचन्द्रसूरि सम्मान मुनिराज जम्बूविजयजी महाराज को खम्भात नगरी में १५.११.२००५ को समर्पित किया गया। खम्भा के सभी सात संघों के श्रावक, श्राविकाएं तथा गणमान्य विद्वान सम्मान समारोह में उपस्थित थे। इस प्रचीन नगरी में ५०० लोगों से अधिक की उपस्थिति से मुनिराज एवं सम्मान की प्रतिष्ठा में आशातीत अभिवृद्धि हुई ।
एल०डी० इन्स्टीच्यूट के निदेशक प्रो० जितेन्द्र बी० शाह ने मुनिराज के कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा उनके द्वारा पिछले ६० से अधिक वर्षों में किये हुए अद्वितीय कार्यों की सराहना की। डॉ० कुमारपाल देसाई ने मुनि जी की तपोनिष्ठा एवं साहित्यिक रचनाओं की भावपूर्ण अभिशंसा की। सभी संघों के प्रतिनिधियों ने मुनिराज के कार्यों का गुणगान किया। जसवन्ता धमार्थ ट्रस्ट के प्रबन्ध-न्यासी श्री देवेन यशवन्त ने ट्रस्ट की स्थापना एवं उद्देश्यों की चर्चा करते हुए आचार्य हेमचन्द्र सम्मान की स्थापना के विषय में संक्षेप में प्रकाश डाला। पिछले वर्ष का पुरस्कार प्राकृत के एक जर्मन विद्वान प्रो० विलेम बी० बोली को दिया गया था।
मुनिवर को सम्मान समर्पित करने के क्षणों में सम्पूर्ण सभागार ने लगातार . करतल ध्वनि से मुनिराज श्री के प्रति सम्मान व्यक्त किया तथा सभी ने उनकी लम्बी आयु एवं स्वस्थ जीवन की कामना की।
सिद्धचक्र महामण्डल विधान, विश्वशांति महायज्ञ एवं मानस्तम्भ महामस्तिकाभिषेक सानन्द सम्पन्न
वाराणसी, ८ से १६ नवम्बर २००५ | अष्टाह्निका महापर्व के अवसर पर नगर के मैदागिन स्थित सुप्रसिद्ध श्री बिहारी लाल दिगम्बर जैन मंदिर वाराणसी में सिद्धचक्रमहामण्डल विधान, विश्वशान्ति महायज्ञ एवं मानस्तम्भ महामस्तिकाभिषेक अपूर्व भक्ति भावना के साथ युवा विद्वान पं० सुनील जैन 'संचय' जैन दर्शनाचार्य एवं पं० मनोज कुमार जैन शास्त्री के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हुआ।
३१ फुट ऊंचे मानस्तम्भ के महामस्तिकाभिषेक के लिए काशी जैन समाज की भीड़ उमड़ पड़ी तथा विश्व शांति महायज्ञ में अपार जन समुदाय ने पूर्णाहुति दी। नौ दिन तक भक्ति भावना व धर्म प्रभावना का अपूर्व संगम देखने को मिला। इस अवसर पर मन्दिर समिति द्वारा पं० सुनील 'संचय' एवं मनोज शास्त्री का सम्मान किया गया।
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