Book Title: Sramana 2005 07 10
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 221
________________ २१२ श्री श्रीचन्द सुराना 'सरस' नहीं रहे जैन समाज के प्रख्यात सहित्यकार श्री श्रीचन्द्र जी सुराना का १ अक्टूबर, २००५ को ७० वर्ष की आयु में निधन हो गया। आप लम्बे समय से जैन साहित्य धर्म और दर्शन पर साहित्य सर्जन में सन्नद्ध थे। संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, हिन्दी आदि भाषाओं में आपने विपुल सहित्य का सृजन और प्रकाशन किया। आपने लगभग ५०० पुस्तकों का कुशल सम्पादन एवं प्रकाशन किया। जैन धर्म के सभी संघों के प्रतिनिधि साधु-भगवन्तों का स्नेह आपको प्राप्त था। सन् १९१४ में आपको भारत जैन महामण्डल द्वारा ‘समाजरत्न' उपाधि से अलंकृत किया गया। पुन: २३ जनवरी २००५ को आप कोलकाता में सरस्वतीसाधना-सम्मान से सम्मानित किए गए थे। आपके निधन से जैन समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ सरस्वतीपुत्र श्री सुरानाजी को अपनी हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता है। प्रोफेसर रमण लाल सी० शाह को श्रद्धाञ्जलि मुम्बई विश्वविद्यालय के गुजराती विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रख्यात जैन विद्वान प्रोफेसर रमणलाल सी० शाह का दिनांक २४ अक्टूबर, २००५ को आकस्मिक निधन हो गया। आप मुम्बई जैन युवक संघ के अध्यक्ष भी रह चुके थे। गुजराती में भाषा, दर्शन आदि पर आपने अनेक ग्रन्थों का प्रणयन किया था। सरस्वती पुत्र होने के साथ-साथ आप समाज सेवी भी थे। प्रो० शाह मुम्बई जैन युवक संघ द्वारा प्रति वर्ष नियमित रूप से आयोजित होने वाली पर्यषण व्याख्यानमाला के प्रमुख तन्त्री थे। आप अत्यन्त मधुरभाषी एवं प्रखर वक्ता थे। पार्श्वनाथ विद्यापीठ से आप अभिन्न रूप से जुड़े थे। आपके सफल प्रयासों से ही पार्श्वनाथ विद्यापीठ 'हिन्दी जैन साहित्य का इतिहास' के चार भागों का प्रकाशन कर सका। साहित्य साधक प्रो० शाह को पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार अपनी हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता है। डॉ० कमलेश कुमार जैन को मातृ-शोक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जैन बौद्ध दर्शन विभाग के रीडर एवं जैन जगत् के सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ० कमलेश कुमार जैन की माँ श्रीमती जानकी बाई जैन (कुलुवा) का १७.११.२००५ को दोपहर ११.४५ बजे जिनेन्द्र देव का स्मरण करते हुए स्वर्गवास हो गया। वे ८५ वर्ष की थीं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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