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कार्यक्रम में श्री नेमीचन्द जैन, भूपचन्द्र जैन, अनिल प्रसाद जैन, विनोद जैन, प्रो० फूलचन्द 'प्रेमी', विमल जैन, सुधीर पोतदार, सुनील जैन, प्रताप चंद जैन आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
राष्ट्रध्वज जन-जन के हृदय में लहराना चाहिए नई दिल्ली, १२ नवम्बर, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के आठवें दीक्षान्त समारोह के अवसर पर सहस्राधिक विद्वानों, आचार्यों, शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति में सिद्धान्त चक्रवर्ती प०पू० आचार्य श्री विद्यानन्द मुनिराज
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ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्वतन्त्रता दिवस पर हमारे प्रधानमन्त्री प्रतिवर्ष लालकिले पर राष्ट्रध्वज फहराते हैं, परन्तु हमारा जनतन्त्र सही अर्थों में तभी सफल हो सकता है, जब यह राष्ट्रध्वज प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में लहराने लगे।, आचार्य श्री ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही वैदिक एवं श्रमण संस्कृति नदी के दो तटों की तरह बहती आई है। प्राकृत और संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। आन्वीक्षिकी विद्या सब विद्याओं के लिए दीपक के समान है, इसी से अन्य विद्याएं प्रकाशित होती हैं। इस अवसर पर श्री बी०एन० श्रीकृष्णन् न्यायाधीश। सर्वोच्च न्यायाल, न्यायमूर्ति पी०एन० भगवती, पूर्व मुख्य न्यायाधीश आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। समारोह के मुख्य अतिथि थे प्रो० वी०ए० राजशेखरन पिल्लई, कार्यवाहक अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं अध्यक्षता प्रो० वाचस्पति
उपाध्याय, कुलपति ला०शा०रा०सं०वि० ने की। Jain Education International For Private & Personal Use Only
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