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१७६ आपके कुशल नेतृत्व में निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर हो, इसी मंगल कामना के साथ हम सभी आपका हार्दिक अभिनन्दन करते हैं।
|| विद्यापीठ के प्रांगण में पार्श्वनाथ विद्यापीठ के विशाल सभागार में दिनांक १७/७/९९ को विद्यापीठ परिवार की ओर से अपने नये निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' के स्वागत समारोह का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों, बड़ी संख्या में स्थानीय विद्वानों एवं जैन समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
दिनांक २५/७/९९ को विद्यापीठ परिसर में स्थानीय जैन मिलन द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम में निदेशक महोदय का हार्दिक अभिनन्दन किया गया तथा उन्हें प्रो० सागरमल जैन के स्थान पर जैन मिलन का नया संरक्षक चुना गया।
दि० २९/७/९९ को विद्यापीठ में बौद्ध धर्म-दर्शन के विश्वविख्यात् विद्वा, प्रो० नारायण हेमनदास सामतानी का व्याख्यान आयोजित किया गया। उन्होंने जैन-बौद्ध धर्म में शोध के नये आयाम नामक गम्भीर विषय पर अपना विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के प्रोफेसर माहेश्वरी प्रसाद ने की। इस व्याख्यान में विभिन्न विद्वानों ने भाग लिया।
निदेशक महोदय ने विद्यापीठ में कार्यभार ग्रहण करते ही यहाँ मासिक संगोष्ठी कराने का निश्चय किया जिसके अन्तर्गत ३१/७/९९ को विद्यापीठ के सभागार में पार्श्वनाथ विद्यापीठ नरोत्तम व्याख्यानमाला के प्रथम पुष्प के रूप में प्राकृत भाषा एवं साहित्य के मूर्धन्य विद्वान् प्रो० भोलाशंकर व्यास का प्राकृत, संस्कृत और अपभ्रंश के विकास में जैनाचार्यों का योगदान नामक विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संगोष्ठी के संयोजक विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया। विद्यापीठ के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन ने प्रो० व्यास का माल्यार्पण कर स्वागत किया एवं उन्हें संस्थान के नये प्रकाशनों का एक सेट तथा संस्थान का प्रतीकचिन्ह भेंट किया। इस कार्यक्रम में भारतीय कला के विश्वविख्यात् मर्मज्ञ प्रो० आनन्दकृष्ण मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। निदेशक महोदय ने उन्हें भी माल्यार्पण कर संस्थान के नये प्रकाशनों का सेट तथा संस्थान का प्रतीकचिन्ह भेंट किया। व्याख्यान के प्रारम्भ में उन्होंने बड़े ही विद्वत्तापूर्ण ढंग से विषय प्रवर्तन किया। व्याख्यान के अन्त में डॉ० अशोक कुमार सिंह ने सभी आगन्तक अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया।
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