________________
१८१
प्राचीन धमेग्रन्थों का संरक्षण ही श्रुतपंचमी पर्व का प्रमुख लक्ष्य
इन्दौर १८ जून : दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम, तुकोगंज, इन्दौर द्वारा आयोजित धर्मसभा में आर्यिकारत्न श्रीदृढमती माता जी ने कहा कि देश के महान् आचार्यों व साधु-सन्तों द्वारा प्रणीत प्राचीन धर्मग्रन्थों का संरक्षण, स्वाध्याय, मनन एवं चिन्तन ही श्रुतपंचमी का प्रमुख उद्देश्य है। इस अवसर पर मुनि श्री नमिसागर जी एवं ऐलक श्री सिद्धान्तसागर जी के भी मंगल प्रवचन हुए। इस अवसर पर कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा प्रकाशित जैन विद्या के अध्येताओं और जैन पत्र-पत्रिकाओं की बृहद् निर्देशिका का विमोचन भी सम्पन्न हुआ।
२१वीं सदी में जैन धर्म की प्रस्ततता अहमदाबाद २६ जून : अन्तर्राष्ट्रीय जैन विद्या अध्ययन केन्द्र, गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद में २६ जून शनिवार को जैनदर्शन के सुप्रसिद्ध विद्वान् डॉ० कुमारपाल "देसाई का २१वीं सदी में जैन धर्म की प्रासंगिकता नामक विषय पर व्याख्यान सम्पन्न हुआ। इसका आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय जैन विद्या केन्द्र द्वारा किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ के कुलनायक श्रीगोविन्दभाई रावल ने की।
| श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ, हरिद्वार में मुनिराज श्री जम्बूविजय जी म0सा0 एवम् अन्य साधु-साध्वी वृन्द्र का भव्य
मांगलिक चातुर्मासिक प्रवेश
हरिद्वार-रविवार दिनांक १८/७/९९ को प्रात: ७.४० बजे गुरुदेव जम्बूविजय जी म० ठाणा १४ के मांगलिक चातुर्मासिक प्रवेश की शोभा-यात्रा ऋषिकेश मार्ग से श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ मन्दिर परिसर की ओर प्रारम्भ हुई। दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात आदि के साथ-साथ अन्य स्थानों से बड़ी संख्या में आए हुए श्रावक-श्राविकाओं ने हर्ष व उल्लास के साथ इस शोभा-यात्रा में भाग लिया। महिलायें सिर पर मंगल कलश धारण किये हुए थीं। जिन शासन कीजय उद्घोष के मध्य ठीक ८.२० प्रात: गुरुदेव श्री ने मन्दिर में प्रवेश किया। ___मन्दिर जी में दर्शन के उपरान्त परिसर में निर्माणाधीन नूतन धर्मशाला के तलघर में धर्मसभा आरम्भ हुई। सर्वप्रथम गुरुदेव श्री ने मांगलिक सुनायी जिसके उपरान्त आध्यात्मिक प्रवचन आरम्भ हुआ। समस्त उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं ने बहुत ही भक्तिभाव से प्रवचन सुनकर आनन्द का अनुभव किया। इस अवसर पर गुरुदेव श्री
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org