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१८० प्रो०प्रेमसिंह, श्री प्रतापभोगीलाल, श्री एन०पी०जैन, श्री देवेन यशवन्त आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
श्रतपश्चमीपर्व तथा श्री जैन सिदान्न भवन, आरा का ९६वाँ वार्षिकोत्सव सम्पन्न
आरा, १८ जून १९९९, श्रुतपञ्चमी पर्व तथा श्री जैन सिद्धान्त भवन का ९६वाँ वार्षिकोत्सव श्रुतस्कन्ध यन्त्र, महान् ग्रन्थ षट्खण्डागम् की पूजा-अर्चना तथा भवन के वार्षिक प्रतिवेदन आदि के साथ सोल्लास सम्पन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर प्रसिद्ध दानवीर बाबू हरप्रसाद जी जैन की पौत्री श्रद्धेया श्रीमती द्रौपदी देवी जी, भवन के संरक्षक श्रीमान् सुबोध कुमार जी जैन, प्रसिद्ध विद्वान् डॉ० गोकुल चन्द जी जैन तथा समाज के अन्य गण्यमान व्यक्ति उपस्थित थे।
ज्ञातव्य है कि श्री जैन सिद्धान्त भवन, आरा की स्थापना सन् १९०३ ई० में आज ही यानि श्रुतपञ्चमी पर्व के दिन राजर्षि देव कुमार जैन ने भट्टारक श्री हर्षकीर्ति जी महाराज की प्रेरणा से की थी। इस ग्रन्थागार में प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड़, बंगला तथा अन्य विभिन्न भाषाओं में लिखे जैन ग्रन्थ ही नहीं अपितु जैनेतर धर्मों को मिलाकर लगभग ५००० हस्तलिखित ग्रन्थ, १७०० ताड़पत्रीय ग्रन्थ तथा १४००० छपे हुए ग्रन्थ संग्रहीत हैं। इसके अतिरिक्त लगभग ५००० अंग्रेजी में छपे हुए अति दुर्लभ तथा बहुमूल्य ग्रन्थों का भी संग्रह है। ऑडियो-विडियो कैसेट लाइब्रेरी के अन्तर्गत जैन तीर्थस्थलों, मुनि महाराज-सन्तों के प्रवचन, भजन आदि के कैसेट उपलब्ध हैं। श्री जैन सिद्धान्त भवन के प्रकाशन विभाग द्वारा अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों के प्रकाशन के अतिरिक्त हिन्दी में श्री जैन सिद्धान्त भास्कर तथा अंग्रेजी में जैन एन्टीक्वेरी नामक वार्षिक शोध-पत्रिकाओं का प्रकाशन सन् १९१२ से निरन्तर सुव्यवस्थित ढंग से होता आ रहा है। इन दोनों पत्रिकाओं में जैन पुरातत्त्व, इतिहास, कला आदि से सम्बन्धित अनेकों महत्त्वपूर्ण लेख प्रकाशित होते चले आ रहे हैं।
श्री जैन सिद्धान्त भवन के अन्तर्गत स्थापित श्री देव कुमार जैन प्राच्य शोध संस्थान, जिसे कि मगध विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त है, शोधार्थियों को अपनी सेवा प्रदान कर रहा है। शोधकर्ता की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बहुमूल्य प्राचीन ग्रन्थों की जेरॉक्स कॉपी देने की व्यवस्था भी भवन में है।
.. इस अवसर पर श्री जैन सिद्धान्त भवन के संरक्षक श्री सुबोध कुमार जी जैन ने भवन की विभिन्न सेवाओं तथा उपयोगिताओं पर प्रकाश डाला। मानद् मन्त्री श्री अजय कुमार जी जैन ने श्रुतपञ्चमी पर्व के इतिहास से लोगों को अवगत कराया।
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