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त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में प्रतिपादित सांस्कृतिक जीवन
__ -डा० उमेशचन्द्र श्रीवास्तव हेमचन्द्र ने अधीतव्य ग्रन्थ में सांस्कृतिक जीवन से सम्बन्धित भोजन-पान, वस्त्राभूषण, मनोविनोद, सामाजिक तथा धार्मिक उत्सव आदि का विस्तृत उल्लेख किया है। इसका विवरण निम्नलिखित है
भोजन-पान–हेमचन्द्र विरचित त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित अहिंसा प्रधान जैन संस्कृति की पृष्ठभूमि पर रचित है। अतएव ग्रन्थकार ने भोजन-पान की शुद्धता एवं सात्विकता पर विशेष बल दिया है। यद्यपि ग्रन्थकार ने तत्कालीन समाज में प्रचलित विविध प्रकार के भोजन-पान का उल्लेख किया है तथापि मद्यपान, मांस आदि भोजन की बुराइयों से अवगत भी कराया है। ग्रन्थ में उपलब्ध भोजन-पान की सामग्री को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत विवेचित किया गया है :
__ भोजन के प्रकार-आचार्य हेमचन्द्र ने चार प्रकार के भोजन का निर्देश दिया है'-अशन (भात, दाल, रोटी आदि), पान (दूध आदि पेय पदार्थ), खाद्य (लड्डू आदि खाने योग्य पदार्थ), एवं स्वाद्य (पान, इलायची, सुपारी आदि) । जैन पुराणों में भी इनका उल्लेख है ।२।
अन्नाहार - ग्रन्थकार ने विविध प्रकार के भोज्यान्नों के अन्तर्गत प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग, का० हि० वि० वि०; वाराणसी १. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, १-१-४५६, प्र० जैन आत्मानन्द सभा भाव
नगर (भाग १-६) १९०५-१९०९ २. महापुराण-जिनसेन सं० पन्नालाल जैन, अशनं पानकं खाद्यं स्वाद्यं चान्नं
चतुर्विधम् ९-५६ दो-भाग भारतीय ज्ञानपीठ काशी प्रथम संस्करण १९५४
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