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कटि आभूषण
मेखला ' - यह कटि में धारण किया जाने वाला आभूषण था ।
२
कटिसूत्र - इसे स्त्री-पुरुष दोनों कटि में धारण करते थे ।
श्रमण, अप्रैल-जून १९९२
३
रसना - यह भी कमर में धारण करने वाला आभूषण था । अमरकोश में मेखला और रसना पर्यायवाची अर्थ में प्रयुक्त हैं । इनको स्त्रियाँ कटि में धारण करती थीं । *
५
पादाभूषण : नुपूर - स्त्रियाँ पैरों में इसे धारण करती थीं ।
झांझर - यह भी पैरों में पहना जाने वाला आभूषण था । पादकटक " -भरत द्वारा पहने जाने वाले आभूषणों में पादकटक का उल्लेख हुआ है ।
प्रसाधन - हेमचन्द्र ने अधीतव्य ग्रन्थ में प्रसाधन सामग्री तथा उसकी प्रक्रिया दोनों का विस्तार से वर्णन किया है । ग्रन्थ में स्त्री और पुरुष दोनों को प्रसाधन में संलग्न चित्रित किया गया है । इसका उल्लेख निम्नवत् है ।
प्रसाधन सामग्री एवं उसका उपयोग
स्नान एवं उससे सम्बन्धित सामग्री- - ग्रन्थ के वर्णन प्रसंगों से ज्ञात होता है कि प्रसाधन में स्नान का अत्यधिक महत्व था । तीर्थं - करों के पंचकल्याणकों एवं विवाह आदि अवसरों पर स्नान का विस्तृत वर्णन किया गया है । स्नान करने के पूर्व सुगन्धित तेल एवं उबटन आदि से अंग मालिश किये जाने का वर्णन प्राप्य है । स्नानो
१. त्रिषष्टि १ २।८२१-२२
२ . वही २|४|१२२
३. वही २।६।२१
४. स्त्रीकट्यां मेखला काश्वी सप्तकी रशना तथा -- अमरकोश, ३।६।१०८
५. त्रिषष्टि २ २ ४५८
६. वही १।२।८२२-२३
७. वही १।६।७२९-३०
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