Book Title: Sramana 1992 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 83
________________ त्रि. श० च० में सांस्कृतिक जीवन ८१ अधिक मनोविनोद में लिप्त होना वर्जित बताया है।' हेमचन्द्र ने भी आलोच्य ग्रन्थ में मनोविनोद विषयक विविध सामग्री का उल्लेख किया है जिसका विवेचन निम्नवत् है नाटक -हेमचन्द्र ने अनेक स्थलों पर नाटक का उल्लेख किया है। ग्रन्थ के एक प्रसंग में राजा भरत द्वारा नाटक देखने का उल्लेख है । अन्य प्रसंगों में भी बहुविध नाटकों का उल्लेख है । । संगीत --हेमचन्द्र ने संगीत स्थल के लिए 'विलासमण्डप' का उल्लेख किया है। संगीत कला के अन्तर्गत विविध प्रकार के वाद्यवेणु, वीणा, मृदंग, प्रणव आदि तथा विविध भाव-भंगिमाओं से युक्त नृत्य का उल्लेख है। ग्रन्थ में विविध अवसरों पर आयोजित नृत्य संगीत का उल्लेख मिलता है। एक अवसर पर आदि तीर्थंकर ऋषभदेव द्वारा नृत्य संगीत देखने सुनने का वर्णन है। एक अन्य स्थल पर महाराजा भरत द्वारा विलासमण्डप में संगीत का आनन्द लेने का प्रसंग मिलता है। ग्रन्थ में ऋषभदेव के विवाह के उपरान्त लग्नोत्सव से आनंदित इन्द्र को इन्द्राणियों सहित नृत्य में संलग्न दर्शाया गया है । ___ गीत-गीत का आयोजन पुत्र जन्मोत्सव, विवाहोत्सव आदि अवसरों पर होता था। ग्रन्थ में तीर्थंकरों के जन्मोत्सव पर दिक्कुमारियों द्वारा मांगलिक गीत गाये जाने का उल्लेख मिलता है। विवाह के अवसर पर मंगल गीत के साथ ही परिहास वाले गीत गाये जाने का प्रसंग मिलता है। ग्रन्थ में मधुर और मंगलमय गायनों के साथ विविध स्रोतों से जिनेश्वर की स्तुति किया जाने का उल्लेख मिलता है। क्रीड़ा उद्यान क्रीड़ा-ग्रन्थ में वर्णित प्रसंगों से ज्ञात होता है कि नगर १. महापुराण ३६७६ २. त्रिषष्टि १६६१७०६-७०७, ४-४-८, २।३।३१ ३. वही ३।११७३, २।६।२४१, २।२।४४९, ११६७१०, २।६।२४१ ४. वही १।२।८५३-५४, १।२।८७१ २।२।४४७, . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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