Book Title: Spiritual Enlightenment
Author(s): Yogindu Deva, A N Upadhye
Publisher: Radiant Publishers

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Page 139
________________ Paramatma Prakash in Apabhransha 125 88) अप्पा गोरउ किण्हु ण वि अप्पा रतु ण होई। अप्पा मुहुम वि थूलु ण वि णाणिउ जाणे जोइ ॥ ८६ ॥ 89) अप्पा बंभणु वइसु ण वि ण वि खतिउ ण वि सेसु । पुरिमु णउंसउ इत्थि ण वि णाणिउ मुणइ असेसु ॥ ८७ ॥ 90) अप्पा बंदउ खवणु ण वि अप्पा गुरउ ण होइ। अप्पा लिंगिउ एकुण वि णाणिउ जाणइ जोइ ॥ ८८॥ 91) अप्पा गुरु णवि सिस्सु णवि णवि सामिउ णवि मिच्चु । सरउ कायरु होइ पवि णवि उत्तमु णवि णिच्चु ॥ ८९ ॥ 92) अप्पा माणुसु देउ ण वि अप्पा तिरिउ ण होइ । अप्पा णारउ कहिँ वि णवि णाणिउ जाणइ जोइ ॥ ९० ॥ 93) अप्पा पंडिउ मुक्खु णवि णवि ईसरु णवि णीम् । तरुणउ बूढउ वालु णवि अण्णु वि कम्म-विसेसु ॥ ९१ ॥ 94) पुष्णु वि पाउ वि कालु णहु धम्माधम्मु वि काउ । एक्कु वि अप्पा होइ णवि मेल्लिवि चेयण-भाउ ॥ ९२॥ 95) अप्पा संजमु सील तउ अप्पा दंसणु णाणु । अप्पा सासय-मोक्ख-पउ जाणंतउ अप्पाणु ॥९३॥ 96) अण्णु जि देसणु अत्यि ण वि अण्णु जि अत्यि ण णाणु । अण्णु जि चरणु ण अस्थि जिय मेल्लिवि अप्पा जाणु ॥ ९४ ॥ 97) अण्णु जि तित्थु म जाहि जिय अण्णु जि गुरुउ म सेवि । अण्णु जि देउ म चिंति तुहुँ अप्पा विमल सुएवि ॥ ९५॥ 98) अप्पा दंसणु केवल वि अण्णु सव्वु ववहारु । एकु जि जोइय झाइयइ जो तइलोयाँ सारु ॥९६ ॥ 99) अप्पा झायहि णिम्मलउ किं बहुएँ अण्णेण । जो शायंतह परम-पउ लब्भइ एक-खणेण ॥ ९७॥

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