Book Title: Spiritual Enlightenment
Author(s): Yogindu Deva, A N Upadhye
Publisher: Radiant Publishers

View full book text
Previous | Next

Page 148
________________ 134 Spiritual Enlightenment 191) देवह सत्यहँ मुणिवरहँ भत्तिए पुण्णु हवेइ । कम्म-खउ पुणु होइ णवि अज्जउ संति भणेइ ॥ ६१ ॥ 192) देवहँ सत्यहँ मुणिवरहँ जो विद्देसु करेइ । णियमे पाउ हवेइ तमु जे संसारु भमेइ ॥ ६२ ॥ 193) पावेंणारउ तिरिउ जिउ पुण्णे अमरु वियाणु । मिस्से माणुस गइ लहइ दोहि वि खइ णिव्वाणु ॥ ६३ ॥ 194) वंदणु णिंदणु पडिकमणु पुष्णहँ कारणु जेण । करइ करावइ अणुमणइ एकु वि णाणि ण तेण ॥ ६४ ॥ 195) चंदणु जिंदणु पडिकमणु णाणिहि एहु ण जुत्तु । एकु जि मेल्लिवि णाणमउ सुद्धउ भाउ पवितु ॥ ६५ ॥ 196) वंदउ जिंदउ पडिकमउ भाउ असुद्धउ जाम् । पर तमु संजमु अत्थि णवि जं मण-सुद्धि ण तासु ॥ ६६ ॥ 197) मुद्धहँ संजमु सील तउ सुद्धहँ दंसणु णाणु । सुद्धहँ कम्मक्खउ हवइ सुद्धउ तेण पहाणु ॥ ६७ ॥ 198) भाउ विसुद्धउ अप्पणउ धम्म भणेविणु लेहु । चउ-गइ-दुक्खहँ जो धरइ जीउ पडतउ एहु ॥ ६८ ॥ , 199) सिद्धिहि केरा पंथडा भाउ विसुद्धउ एकु। . जो तमु भावहँ मुणि चलइ सो किम होइ विमुकु ॥ ६९ ॥ 200) जहि भावइ तहि जाहि जिय जं भावइ करि तं जि । केम्बइ मोक्खु ण अत्यि पर चित्तहँ सुद्धि ण जं जि ॥ ७० ॥ 201) सुह-परिणाम धम्म पर असुहे होइ अहम्मु । दोहि वि एहि विवज्जियउ सुद्ध ण बंधइ कम्मु ॥७१ ॥ 202) दाणिं लब्भइ भोउ पर इंदत्तणु वि तवेण । जम्मण-मरण-विवज्जियउ पउ लब्भइ गाणेण ॥ ७२ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162