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Spiritual Enlightenment 191) देवह सत्यहँ मुणिवरहँ भत्तिए पुण्णु हवेइ ।
कम्म-खउ पुणु होइ णवि अज्जउ संति भणेइ ॥ ६१ ॥ 192) देवहँ सत्यहँ मुणिवरहँ जो विद्देसु करेइ ।
णियमे पाउ हवेइ तमु जे संसारु भमेइ ॥ ६२ ॥ 193) पावेंणारउ तिरिउ जिउ पुण्णे अमरु वियाणु ।
मिस्से माणुस गइ लहइ दोहि वि खइ णिव्वाणु ॥ ६३ ॥ 194) वंदणु णिंदणु पडिकमणु पुष्णहँ कारणु जेण ।
करइ करावइ अणुमणइ एकु वि णाणि ण तेण ॥ ६४ ॥ 195) चंदणु जिंदणु पडिकमणु णाणिहि एहु ण जुत्तु ।
एकु जि मेल्लिवि णाणमउ सुद्धउ भाउ पवितु ॥ ६५ ॥ 196) वंदउ जिंदउ पडिकमउ भाउ असुद्धउ जाम् ।
पर तमु संजमु अत्थि णवि जं मण-सुद्धि ण तासु ॥ ६६ ॥ 197) मुद्धहँ संजमु सील तउ सुद्धहँ दंसणु णाणु ।
सुद्धहँ कम्मक्खउ हवइ सुद्धउ तेण पहाणु ॥ ६७ ॥ 198) भाउ विसुद्धउ अप्पणउ धम्म भणेविणु लेहु ।
चउ-गइ-दुक्खहँ जो धरइ जीउ पडतउ एहु ॥ ६८ ॥ , 199) सिद्धिहि केरा पंथडा भाउ विसुद्धउ एकु। .
जो तमु भावहँ मुणि चलइ सो किम होइ विमुकु ॥ ६९ ॥ 200) जहि भावइ तहि जाहि जिय जं भावइ करि तं जि ।
केम्बइ मोक्खु ण अत्यि पर चित्तहँ सुद्धि ण जं जि ॥ ७० ॥ 201) सुह-परिणाम धम्म पर असुहे होइ अहम्मु ।
दोहि वि एहि विवज्जियउ सुद्ध ण बंधइ कम्मु ॥७१ ॥ 202) दाणिं लब्भइ भोउ पर इंदत्तणु वि तवेण ।
जम्मण-मरण-विवज्जियउ पउ लब्भइ गाणेण ॥ ७२ ॥