Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ [ ४ ] ११. जसवत उद्योत, मुहता नैणसी री ख्यात और अनोखी पान जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रथो का सम्पादन एव प्रकाशन हो चुका है। १२ जोधपुर के महाराजा मानसिंहजी के सचिव कविवर उदयचंद भडारी की ४० रचनाओ का अनुसंधान किया गया है और महाराजा मानसिंहजी की काव्य-सावना के सवध मे भी सबसे प्रथम 'राजस्थान-भारती' में लेख प्रकाशित हुआ है । १३. जैसलमेर के अप्रकाशित १०० शिलालेखो और 'भट्टि वश प्रशस्ति' आदि अनेक अप्राप्य और अप्रकाशित ग्रथ खोज-यात्रा करके प्राप्त किये गये हैं। १४. बीकानेर के मस्तयोगी कवि ज्ञानसारजी के ग्रथो का अनुसघान किया गया और ज्ञानसार ग्रथावली के नाम से एक ग्रय भी प्रकाशित हो चुका है । इसी प्रकार राजस्थान के महान विद्वान महोपाध्याय समयसुन्दर की ५६३ लघु रचनायो का सग्रह प्रकाशित किया गया है । १५. इसके अतिरिक्त सस्या द्वारा- ., (१). डा० लुइजि पिनो तैस्सितोरी, समयसुन्दर, पृथ्वीराज, और लोकमान्य तिलक, आदि साहित्य-सेविवो के निर्वाण दिवस और जयन्तिया मनाई जाती हैं। (२) साप्ताहिक साहित्यिक गोष्ठियो का आयोजन बहुत समय से किया जा रहा है, इसमे अनेको महत्वपूर्ण निवध, लेख, कविताएँ और कहानिया आदि पढी जाती हैं, जिससे अनेक विध नवीन साहित्य का निर्माण होता रहता है । विचार विमर्श के लिये गोष्ठियो तथा भाषणमालारो आदि का भी समय-समय पर आयोजन किया जाता रहा है। १६. वाहर से ख्यातिप्राप्त विद्वानो को बुलाकर उनके भापण करवाने का आयोजन भी किया जाता है । डा. वासुदेवशरण अग्रवाल, डा० कैलाशनाथ काटजू, राय श्री कृष्णदास, डा० जी० रामचन्द्रन्, डा० सत्यप्रकाश, डा० डब्लू० एलेन, डा० सुनीतिकुमार चाटुा, डा० तिवेरिप्रो-तिवेरी आदि अनेक अन्तर्राष्ट्रीय स्याति प्राप्त विद्वानो के इस कार्यक्रम के अन्तर्गत भापण हो चुके हैं । गत दो वर्षों से महाकवि पृथ्वीराज राठोड आसन की स्थापना की गई है। दोनो वर्षों के आसन अधिवेशनो के अभिभापक क्रमशः राजस्थानी भाषा के प्रकाण्ड

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 445