Book Title: Silakkhandhavagga Tika
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 404
________________ [द-द] सद्दानुक्कमणिका Jain Education International दानसीलं - २७५ दानसूरी - २८८ दानं - २९, ६१, ६२, ६३, ७०, ७६, ८४, ८७, ८९, २००, २१२, २४९, २५९, २८८, २८९, २९० दिट्ठधम्मनिब्बानवादाति - १५७ दिट्ठधम्मनिब्बानं - १७३ दिट्ठधम्मिकन्ति - १९५ दिट्ठधम्मोति - १५५, २७६ दिट्ठन्ति - १४८ दिट्ठपुब्बानीति – ३३५ दिट्ठपुब्बानुसारेनाति - १४३ दिट्ठमत्तं - २१८ दिट्ठसंसन्दना - ९८ दिट्ठि - २६, ४१, १२६, १३१, १३२, १३४, H दुक्खक्खन्ध - ७० दुक्खनिरोधगामिनीपटिपदा - ३३३ दुक्खनिरोधं - ३३३ दुक्खन्ति - २३९, २४५, ३१२ दुक्खवेदना - २२९, ३४१ दुक्खवेदनुप्पत्तिया - २२९ दुग्गताति - २८८ दुट्ठचित्तोति - २४८ दुतियज्झानभूमियं - १३८ दुतियदिवसेति – २२ दुधसाति - ११८ दुरनुबोधाति - ११८ दुल्लभदस्सनं - १३ १४२, दुल्लभभावं - २० दुल्लभाति - ४९ दूतेय्यकथा - ११४ दूसितचित्तस्साति - १०६ देय्यधम्मतो - २९० देवमनुस्सानन्ति - ५ १४६, १६०, १७०, २४४, २४६, ३३२ दिट्टिगतन्ति - ३३२, ३५० दिट्ठिजालं - १६५, १७६ दिट्ठिजुकम्पन्ति - २४६ दिट्ठिज्झासयं - १५८ दिट्ठिदीपकं - २०१ दिट्ठियोति - १२२ दिट्ठिवेदयितेति – १६० दिट्ठसम्पन्नोति - २४८ दिट्ठेकट्ठेति - ९३ दिप्पतीति - २१ दिब्बचक्खुत्राणलाभी - १५३ दिब्बचक्खुत्राणं - ३०० देवयानियो - ३४७ देवलोकेति - १९५ देवसिकभत्तं - २८७ देवाति - १९९, २०९ देसना - १६, २६, २८, ३५, ४५, ५०, ८१, १०२, ११७, १२१, १३०, १३४, १४६, १५४, १५८, १५९, १६०, १६१, १६४, १७२, २०७, २११, २१४, २२६, २३२, २३८, २४२, २८४, २९६, ३०३, ३१९, ३२२, ३३८ दिब्बचक्खुनो - २३८ दिब्बचक्खुसमधिगमो - २३७ दिब्बन्ति - ३४७ दिब्बविहारो - १८५ देसनाकुसलोति - १०८ देसनाञाणं - १२१, १७० देसनाति - २८, ११७, २१०, २४२ दिब्बसोतत्राणं - ३०० दिब्बा - ३५१ दीघसुत्तङ्कितस्साति - १४ देसनासीसन्ति - १४६ दोसानन्ति - ११६ दोसाभिसन्नन्ति - १८५ दोसिना - १८८ दोसोति - १९५, ३०९ दीपङ्करपादमूले - २३ दीपवासीनन्ति - १५ 19 [१९] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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