Book Title: Silakkhandhavagga Tika
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 428
________________ गाथानुक्कमणिका चित्तीकतं महग्घञ्च-१३ अच्ची यथा वातवेगेन खित्ता-१७४ अनेकभेदासुपि लोकधातुसु-९८ अनेकसाखञ्च सहस्समण्डलं-९१ अरछे रुक्खमूले वा-२ असङ्ख्येय्यानि नामानि-५९, ३५७ ठपिता येन मरियादा-२६६ आप आदिच्चकुलसम्भूतो-२६६ इमे धम्मे सम्मसतो-१६५ तथञ्चधातायतनादिलक्खणं- ९७ तथानि सच्चानि समन्तचक्खुना - ९७ तस्स पुत्तो मघदेवो - २६७ तस्स पुत्तो महातेजो-२६६ तस्स पुत्तो महावीरो-२६६ तस्स सूनु महातेजो-२६६ तस्सासि कल्याणगुणो-२६६ तिकञ्च पट्ठानवरं दुकुत्तमं - १२२ तिकञ्च...पे०...-१२२ तेसं पच्छिमको राजा-२६७ एकायनं जातिखयन्तदस्सी-३१३ एवं सब्बङ्गसम्पन्ना-८९ कप्पकसाये कलियुगे-४४ दानं सीलञ्च नेक्खम्म-६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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