Book Title: Siddhachakra Mandal Vidhan
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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- (सिद्ध
बाबी लडल सिमान) =
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ॐ हीं सूरिपर्यायगुणेभ्यो नमः स्वाहा । २१२ । ॐ ही सूरिमगलेभ्यो नमः स्वाहा । २२० । ॐ ह्रीं मूरिज्ञान, मगलेभ्यो नम. स्वाहा । २२१ । ॐ ही सूरिदर्शनमगलेभ्यो नमः स्वाहा । २२२ । ॐ ह्रीं मूरिमंगलवीर्येभ्यो नम. स्वाहा । २२३ । ॐ ह्री सूरिमगलबर्माय नमः स्वाहा । २२४ । ॐ ह्रीं सूरिलोकोत्तमेभ्यो नमः स्वाहा । २२५। ॐ ह्रीं सूरिलोकोत्तमज्ञानाय नम स्वाहा । २२६ । ॐ ह्रीं मूरिलोकोत्तमदर्शनाय नमः स्वाहा । २२७ । ॐ हीं सूरिलोकोत्तमवीर्याय नमः स्वाहा । २२८ । ॐ हीं सूरिकेवलधर्माय नमः स्वाहा । २२९॥ ॐ ह्रीं सूरितपेभ्यो नम: म्वाहा । २३०। ॐ ह्रीं सूरिपरमतपेभ्यो नमः स्वाहा । २३१ । ॐ ह्रीं मूरितपघोरगुणेभ्यो नम स्वाहा । २३२ । ॐ हीं सूरिधोरगुणपराक्रमेभ्यो नमः स्वाहा । २३३ । ॐ ह्रीं सूरिसमृद्धिभ्यो नमः स्वाहा । २३४ । ॐ हीं सूरियोगिभ्यो नमः स्वाहा । २३५ । ॐ ह्रीं मूरिध्यानेभ्यो नमः स्वाहा । २३६ । ॐ ह्रीं सूरिधातृभ्यो नम. स्वाहा । २३७ । ॐ ह्रीं मूरिपात्रेभ्यो नम' स्वाहा ।२३८॥ ॐ ही सूरिशरणाय नमः स्वाहा । २३९ । ॐ हीं सूरिगुणशरणाय नमः स्वाहा । २४०। ॐ हीं सूरिधर्मस्वरूपशरणाय नमः स्वाहा । २४१ । ॐ ह्रीं सूरिसुखस्वरूपशरणाय नम. स्वाहा । २४२ । ॐ ह्रीं मूरिज्ञानशरणाय नम. स्वाहा । २४३ । ॐ हीं सूरिदर्शनारणाय नमः स्वाहा । २४४ । ॐ ही मूरिवीर्यशरणाय नम स्वाहा । २४५। ॐ ह्रीं सूरिमगलशरणाय नम. स्वाहा । २४६ । ॐ ह्रीं मूरितपशरणाय नमः स्वाहा । २४७ | ॐ ह्रीं सूरिचारित्रशरणाय नमः स्वाहा । २४८। ॐ ह्रीं मूरिध्यानशरणाय नमः स्वाहा । २४९ । ॐ ही सूरिद्धिशरणाय नम. स्वाहा । २५० । ॐ ह्रीं सूरित्रिलोकशरणाय नमः स्वाहा ।२५१॥ ॐ ह्री सूरित्रिकालशरणाय नमः स्वाहा । २५२ । ॐ हीं मूरित्रिजगन्मगलशरणाय नमः स्वाहा । २५३ ।
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Vindhyामला

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