Book Title: Siddh Hemchandra Vyakaranam
Author(s): Himanshuvijay
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 1016
________________ .. स्वोपज्ञवृत्तिसहितम् [८११] - स्यादौ दीर्घ-हस्वौ। ८।४। ३३० । अपभ्रंशे नानोन्त्यस्वरत्य दीर्घहस्वौ स्यादौ प्रायो भवतः ॥ सौ॥ ढोल्ला सामला घण चम्पा-वण्णी । णाइ सुवण्ण-रेह कस-वट्टर दिण्णी ॥ आमव्ये। ढोल्ला मई तुहुं वारिया मा कुरु दीहा माणु । निदए गमिही रत्तडी दडवड होइ विहाणु । स्त्रियाम् ॥ बिट्टीए मइ भणिय तुहुं मा कर वङ्की दिहि। पुत्ति सकण्णी भल्लि जिव मारइ हिअइ पइहि ॥ जसि ॥ .. . एइ ति घोडा एह थलि.एई ति निसिआ खग्ग । एत्थु मुणीसिम जाणीअइ जो नवि वालइ वग्ग । एवं विभक्त्यन्तरेष्वप्युदाहार्यम् ॥ ३३० ॥ . स्यमोरस्योत् । ८।४ । ३३१ । अपभ्रंशे अकारस्य स्यमोः परयोः उकारो भवति । ' 'दहमुहु भुवण-भयंकर तोसिअ-संकर णिग्गउ रह-वरि - चडिअउ। चउमुहु छंमुहु झाइवि एकहिं लाइवि णावइ दइवें घडिअउ ॥ ३३१ ॥ सौ पुंस्योदा । ८ । ४ । ३३२ । अपभ्रंशे पुल्लिङ्गे वर्तमानस्य नाम्नोकारस्य सौ परे ओकारो वा भवति ।


Page Navigation
1 ... 1014 1015 1016 1017 1018 1019 1020 1021 1022 1023 1024 1025 1026 1027 1028 1029 1030 1031 1032 1033 1034 1035 1036 1037 1038 1039 1040 1041 1042 1043 1044 1045 1046 1047 1048 1049 1050 1051 1052 1053 1054