Book Title: Shrutsagar Ank 2012 09 020
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.सं. २०६८-द्वि. भाद्रपद www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्हम्‌नमः छनमा मोक्ष का प्रवेशद्वार है. जैन दर्शन में धर्मका प्राणतत्त्व क्षमा है। मैत्रीभावनाकरुणा- दयालुता-उदारता- परोपकारीयवृत्ति आदि क्षमाके पारिवारिक सदस्य हैं। अपने अपराधों को स्वीकार करना, भविष्य में अपराध न हो ऐसी भावना रखना, पापमय प्रवृत्तियों का प्रतिकार करना क्षमाशील व्यक्तियों के लक्षण हैं। "मिच्छामि दुिक्कड़े यह महामंत्र अनादि कालीन कर्म के बन्धनों से आत्माको मुक्त होने में शक्ति प्रदान करती है। क्षमा यह मानसिक आरोग्य को प्राप्त करने की दिव्यऔषधी है। चित्त की शांति- समाधि प्राप्त करने का एक सरल उपाय है। - यदि भन्न भ्रमण से आत्मा को मुक्त करना हो तो उनमात्री भारना को अपने व्यवहार में - आचरण में उसे मक्रिय बनाने का प्रयास करें यही श्री पर्युषण महापर्व दिव्य संदेश है। का पद्मसागर सूरि रस-ए-पर कोना (गांधीनगर) For Private and Personal Use Only

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