Book Title: Shrutsagar Ank 2012 09 020
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.सं.२०६८-द्वि. भाद्रपद रविवारीय शिक्षाप्रद मधुर प्रवचन शृंखला (शिबिर) के अंतर्गत प. पू. राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. की प्रवचन प्रसादी पर कवि हृदय की विनयांजलि प्रस्तुति : मुकेशभाई एन. शाह, मुंबई छठी प्रवचन शिबिर विषय : कर्मशत्रु पर विजय का उपाय हे अजात शत्रु, निज कर्म के शत्रु को कैसे मार हटाऊँ? सारे जगत से लडते आया, अपने आप से कैसे बचाऊँ? कैसे रोकू त्रिविधे मनको, दुश्मन घरमें है कैसे समझाऊँ ? रूकते नहीं है मिथ्या अविरत, प्रमाद कषाय को कैसे मिटाऊँ? आत्मा शुद्ध है और चेतन है, जड़कर्मों से भरपुर कैसे पाऊँ? अंतर क्षीर है, बाहर नीर है, घाती-अघाती से कैसे बच पाऊँ? प्रवचन तेरा औषध अक़सीर है, कर्म से जल्दी छुटकारा पाऊँ! सातवी प्रवचन शिबिर विषय : अनादिकालीन जीवन यात्रा का इतिहास हे परमपुरुष, अनादिकाल से हम भटक रहे है निगोद से निकले फिर भी, चतुर्गतिमें ही अटक रहे है अनंतकाल से घूम रहे है, चरमावर्तमें कभी आयेंगे? पुदगल परावर्त करते करते, लोकांते कभी जायेंगे? सब कुछ देखा, सब कुछ भोगा, आज तक एहसास न हुआ! पांचों इंद्रिय तीनो योगने रोका, चेतन का विश्वास न हुआ! प्रवचन आपका सुनते सुनते, पंचम गति कभी पायेंगे! आठवीं प्रवचन शिविर विषय : धर्मक्रियाओं का अनूठा रहस्य हे धर्मधुरंधर, अमृत क्रिया कब कर पायेंगे? बाह्य क्रियाएँ भरपुर की है, भावक्रिया कब कर पायेंगे? शल्य भरे हैं बड़े अंतर में, बाहर सरल दिखाते है, मैत्री भावसे दिलको भर दे, प्रसन्नचित्त कब पायेंगे? धर्मक्रिया को कैसे सज दे, आनन्द से भर पायेंगे? ज्ञानक्रिया का मूल बड़ा है, अमृत-फल कब पायेंगे? प्रवचन पथ पर चलते चलते, क्रिया का अमृत छलकाएंगे! नवमी प्रवचन शिविर विषय : संसार की समस्याओं का आध्यात्मिक समाधान हे प्रशम गुरु, आधि-व्याधि और उपाधि सब से ग्रस्त हूँ ढूँढ रहा हूँ बाहर सबसे, समाधान, फिर भी त्रस्त हूँ पहेली कैसे बढ़ती जाये, पहेली बुझाने में ही व्यस्त हूँ अंतर से कभी ना बात करूं मैं, अहंकार में ही सदा मस्त हूँ छल कपट से आज तक जिया. अपने आपमें ही भ्रष्ट हूँ हर समस्या का मूल अंदर है, आज तक ना ही स्पष्ट हूँ प्रवचन पथ पर हमें समझाओं, अपने आपमें मैं ही कष्ट हूँ For Private and Personal Use Only

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