Book Title: Shrutsagar Ank 2007 03 012 Author(s): Manoj Jain Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba View full book textPage 8
________________ पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी अाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक प्रकाशकीय जिनशासन के महान ज्योतिर्धर पूज्य गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी महाराज की दिव्य कृपा एवं राष्ट्रसंत पूज्य आचार्य प्रवर श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज की पावन प्रेरणा से स्थापित श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र जैन धर्म के विकसित तीर्थ के रूप में आज विश्व प्रसिद्ध है. पूज्य आचार्यश्री और उनके शिष्य-प्रशिष्य साधु भगवंतों की सतत् प्रेरणा एवं मार्गदर्शन के फलस्वरूप यह तीर्थ निरन्तर प्रगति के सोपान सर करते हुए सम्यग् ज्ञान, दर्शन व चारित्र की त्रिवेणी संगम के रूप में आज समस्त श्रीसंघ के समक्ष अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. इस संस्था में संग्रहीत प्राचीन व दुर्लभ ग्रन्थों के साथ साथ जैन व आर्य संस्कृति तथा कलास्थापत्य की विरासत के संरक्षण, संवर्द्धन और प्रसार हेतु प्रसिद्ध आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर अत्याधुनिक तकनीकों के जरिये पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंतों तथा देश-विदेश के विद्वानों की वाचक सेवाओं के लिए भारत सहित जगतभर में एकमात्र श्रेष्ठ जैन ज्ञानभंडार कहलाने का अधिकारी कहा जा सकता है. ऐसे इस ज्ञानतीर्थ में देव-गुरु की असीम कृपा से आये दिन उत्सव-महोत्सवों का आयोजन होता रहता है परन्तु इस बार परम सौभाग्य से पूज्य पंन्यास प्रवर श्री अमृतसागरजी महाराज को आचार्यपद प्रदान महोत्सव का पुण्य अवसर हमें प्राप्त हुआ है. आनंद ही आनंद है कि महामहोत्सव के साथ बड़े पैमाने पर शासन प्रभावक आचार्य पदवी समारोह मनाने का जो लाभ मिला है वह हमारे लिए गौरव की बात है. आचार्य पदवी के इस समस्त आयोजन का लाभ हमें प्रदान करने में जिनका मुख्य सहयोग रहा है ऐसे पूज्य आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी तथा पूज्य मुनिराज श्री नयपद्मसागरजी के प्रति हम अपनी सद्भावना व्यक्त करते हैं. सोने में सुगंध की तरह इस शुभ अवसर के साथ ही उदारदिल दानदाताओं के सौजन्य से संस्था द्वारा नवनिर्मित भोजनशाला, पौषधशाला, अल्पाहारगृह आदि भवनों के उद्घाटन का उमंगभरा प्रसंग भी उपस्थित हुआ है, जिसकी खुशी में हमारा हृदय प्रसन्नता से फूला नहीं समा रहा है. इस पुण्य कार्य के सहयोगी सभी महानुभावों का अन्तःकरण से आभार व्यक्त करते हैं. उनके उदार सुकृत की हम बारंबार अनुमोदना करते हैं. इस मंगल प्रसंग पर पूज्य गुरुमहाराज सहित उनके शिष्य-प्रशिष्य मुनिमंडल के सतत मिले मार्गदर्शन, प्रेरणा व उचित सहयोग हेतु और आचार्य पद प्रदान समारोह मनाने की अनुमति पूर्वक लाभ देने हेतु हम पूज्यवर्यों के प्रति नतमस्तक कृतज्ञता ज्ञापन करते हुए स्वयं को धन्यभाग मानते हैं. नूतन भवनों के नवनिर्माण के भगीरथ कार्यों में अपना बहुमूल्य सहयोग देनेवाले सेक्रेटरी श्री गिरीशभाई वी. शाह, कार्यवाहक समिति के श्री आसीतभाई और श्री मोहितभाई सोमचंद शाह ने विगत दो वर्षों से अनेक प्रकार की प्रतिकूलताओं के बावजूद भी तन मन धन के साथ समय का प्रचूरता से सहकार देकर संकुल को सपने में से साकार करके बताया है इस हेतु टस्ट्रमंडल धन्यवाद देते हुए उनका अभिनंदन करता है. ETEजो सर्वदा अप्रमत्त होकर राजकथादिक चारों कथाओं से विरक्त हैं और क्रोधादिक कषाओं से मुक्त हैं, उन I आचार्यों को भावभरी वंदना. सौजन्य डीनल डायमंड, मुंबईPage Navigation
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