Book Title: Shrutsagar Ank 2003 09 011
Author(s): Manoj Jain, Balaji Ganorkar
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org २१ श्रुत सागर, भाद्रपद २०५९ अपने ढंग का पहला व चुनौतीपूर्ण संशोधनात्मक कार्य है. वर्तमान में जैन कृतियों पर यह कार्य चल रहा है. ११२६३ प्रकाशनों की सूचनाएँ प्रमाणित की गईं. १५५३२ पुस्तकों की सूचनाएँ प्रमाणित की गईं. १९६९६ हस्तप्रतों के कति-लिंक प्रमाणित किया गया. १६२८२ प्रकाशनों के साथ कृति-लिंक प्रमाणित किया गया १९४६१ कृतिओं की सूचनाएँ संपादित की गईं. २३६१५ हस्तप्रतों की सूचनाएँ संपादित की गईं. ६३६४ विद्वान विषयक माहिती संपादित की गईं.. ३१०३ आदिवाक्यों का संपादन किया गया. २१४७ अंतिमवाक्यों का संपादन किया गया. ३. ग्रंथानुयोग (कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग) : उपर्युक्त वर्णित व संपन्न किये गए सभी कार्य संस्था में ही विकसित किये गये कम्प्यूटर आधारित विशेष लायब्रेरी प्रोग्राम के तहत होते हैं. विद्वानों को महत्तम सूचनाएँ शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त हो सके, इसके लिए इस प्रोग्राम को नियमित रूप से उपयोगितानुसार अद्यतन करने हेतु अग्रलिखित कार्य किये गये : १. इस प्रोग्राम में कार्यरत पंडितों के द्वारा प्रविष्टि, संपादन, प्रमाणीकरण तथा वाचकों हेतु विविध सूचनाओं को सरलतम पद्धति से न्यूनतम समय में प्राप्त किया जा सके एतदर्थ नियमित सुधार तथा नवीन सुविधाएँ प्रदान करने का कार्य किया गया. २. वाचकों के द्वारा मांगी गई विशिष्ट प्रकार की सूचनायें कम्प्यूटर आधारित विशेष प्रोग्राम द्वारा उपलब्ध की गईं. ३. लायब्रेरी प्रोग्राम को विंडो बेस बनाने हेतु बाहरी एजेन्सी को कांट्रेक्ट दिया गया व संस्था के प्रोग्रामरों के साथ मिलकर यह कार्य किया जा रहा है. यथाशीघ्र यह कार्य पूर्ण हो जाने की संभावना है. ४. संस्था कुल २३ कम्प्यूटर, २ लैप टॉप, २ स्कैनर, १ डीसी २९० केमरा, ७ प्रिन्टर १ रिको प्रिन्टर कम कॉपियर मशीन से सज्ज है. ४. वेब-साईट डिजाईनिंग व इन्टरनेट सुविधाएँ : १. श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा तीर्थ का विस्तार से परिचय कराने वाली वेब-साईट की सामग्री तैयार कर इसे यहीं पर विकसित किया गया है. समय-समय पर इसे अपडेट भी किया जा रहा है. संस्था के साथ वाचक पत्र व्यवहार हेतु इ-मेल का उपयोग कर रहे हैं. २. पाइय सद्द महण्णवो शब्दकोश प्रायोगिक तौर पर इन्टरनेट पर उपलब्ध किया गया है. अर्धमागधी एवं शब्दरत्नमहोदधि कोश भी शीघ्र ही इंटरनेट पर उपलब्ध करा देने के प्रयास चल रहे हैं. ५. प्राकृत, संस्कृत शब्द कोश कम्प्यूटरीकरण प्रोजेक्ट : इस प्रोजेक्ट में जैन परंपरा के निम्नलिखित कोशों को कम्प्यूटरीकरण हेतु चयन किया गया है- (१) पाईअसद्दमहण्णवो- (प्राकृत, संस्कृत, हिंदी), (२) अर्धमागधी कोश ५ भागों में (प्राकृत, संस्कृत, गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी), (३) शब्दरत्न महोदधि ३ भागों में (संस्कृत-गुजराती). प्रूफ की भूलें कम से कम हो इस हेतु खास तरह से विकसित For Private and Personal Use Only

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