Book Title: Shrutsagar Ank 2003 09 011
Author(s): Manoj Jain, Balaji Ganorkar
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५ श्रुत सागर, भाद्रपद २०५९ ८. आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर की विविध परियोजनाओं की डाटा एन्ट्री का कार्य भी किया जाता है.... (६) संस्था की प्रकाशन प्रवृत्ति १. योगनिष्ठ आचार्य श्रीमदबुद्धिसागरसूरिजी द्वारा विरचित भगवान श्री महावीरस्वामी विषयक पद्य कृतिओं का संकलन आतम ते परमातमा परमातम ते वीर नामक प्रकाशन भगवान महावीरस्वामी के २६००वें जन्मकल्याणक वर्ष में संपन्न हुआ. २. उपाध्याय श्री धरणेंद्रसागरजी म.सा. द्वारा संकलित गौतम नाम जपो निशदीश नामक ग्रंथ को संपादित कर प्रकाशित किया गया. ३. परम पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के आचार्य पद की रजतजयंति के उपलक्ष में जिन शासन के समर्थ उन्नायक आचार्य श्री पद्मसागरसूरि नामक ग्रन्थ प्रकाशित किया गया. ४. स्वाध्याय सागर ग्रंथ प्रकाशनाधीन है. ५. संस्था का मुखपत्र श्रुतसागर पत्रिका के १० अंक प्रकाशित किए गए. कलातीर्थ सम्राट संप्रति संग्रहालय प्रतिदिन कम से कम एक जिनालय की प्रतिष्ठा करवाए बिना आहार न ग्रहण करने वाले तथा असंख्य प्रतिमाओं के निर्माता सम्राट् सम्प्राते का स्मरण कराने वाला यह संग्रहालय जैन सांस्कृतिक एवं श्रुत परम्परा का रक्षक होने के साथ ही जैन व आर्य संस्कृति की झाँकी का दर्शन कराता है. भगवान महावीरस्वामी के आदर्श सिद्धान्तों का प्रचार प्रसार एवं जैन धर्म व संस्कृति के प्रति गौरव जागृत करने, जैन सांस्कृतिक धरोहर और कला संपदा का संरक्षण-संशोधन करने तथा इस हेतु लोक जागरण के उद्देश्य से यह संग्रहालय कार्य कर रहा है. संग्रहालय में प्राचीन एवं कलात्मक रत्न, पाषाण, धातु, काष्ठ, चन्दन एवं हाथी-दांत, सीप आदि में बनी कलाकृतियाँ विपुल प्रमाण में संग्रहीत की गईं हैं. इनके अलावा ताड़पत्र एवं कागज पर लिखी सचित्र हस्तप्रतें, प्राचीन चित्रपट्ट, विज्ञप्तिपत्र, गट्टाजी, प्राचीन लघुचित्र, सिक्के एवं अन्य परम्परागत चन्दन, सीप, हाथीदांत एवं चीनीमिट्टी की बनी कलाकृतियों का भी संग्रह किया गया है. इसके अतिरिक्त जैन श्रुत परम्परा से सम्बन्धित सामग्रियों में ब्राह्मी से देवनागरी लिपि तक के विकास, आलेखन माध्यम, आलेखन तकनीक एवं श्रुतसंरक्षण के नमूने प्रदर्शित किये गए हैं. इस संग्रहालय में विशेष रूप से जैन संस्कृति, इतिहास व कला का अपूर्व संगम किया गया है. कलाकृति संरक्षण प्रयोगशाला : कलाकृतियों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए एक अद्यतन प्रयोगशाला भी कार्यरत है, जिसमें आवश्यकता होने पर कलाकृतियों तथा हस्तातों को वैज्ञानिक पद्धति से रासायनिक उपचार द्वारा सुरक्षित किया जाता है. विगत दशक में प्रमुख रूप से निम्निलिखित कार्य संपादित किये गए. १. संग्रहालय की आंतरिक साज-सज्जा में समय-समय पर अवसरोचित परिवर्तन व सुधार किया गया. नवीन शोकेस बनाए गए व अधिक संख्या में कलाकृतियाँ दर्शकों के अवलोकनार्थ प्रदर्शित की गईं. For Private and Personal Use Only

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